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________________ ( ७ ) उसकी हमारे संग्रह और बड़े ज्ञानभंडार की प्रति से पहले प्रेस कापी तैयार की गई पर उसके बाद अनूप संस्कृत लायब्रेरी की : प्रतियाँ और मँगाकर देखी तो उनमें काफी पाठभेद मिला । पर उन सब पाठभेदों का देना संभव न होने से केवल उनमें जो विशेष वस्तु प्रकारों के नाम मिले हैं उन्हीं की सूची दे दी गई है । परिशिष्ट नंबर २ में राजनीति निरूपण नामक संस्कृत ग्रंथ दिया गया है । वह मुगलकालीन शब्दों एवं संस्कृत पर महत्वपूर्ण प्रकाशडालता है | इस रचना की एक मात्र प्रति जैन भवन, कलकत्ते की लायब्रेरी से मिली है । परिशिष्ट की सामग्री प्रतिपरिचय छपने के बाद तैयार की गई. इसलिये उसमें इन रचनाओं की प्रतियों का परिचय नहीं दिया गया है । उपयोग - वर्णकों का उपयोग ग्रंथों में किस प्रकार किया जाता है इसका सुंदर उदाहरण 'पृथ्वीचद चरित्र' और 'पदैक विशंति' ग्रंथ हैं । एक ही वर्णन को, भिन्न भिन्न लेखकों ने कुछ घटा बढ़ा कर भी लिखा है । कुशल धीर ने पुराने वर्णनों में किस तरह अपनी ओर से कुछ मिलाकर परिवर्धन किया है इसकी कुछ सूचना इस ग्रंथ में प्रकाशित 'सभा कुतूहल' के वर्णनों से पाठकों को मिल जायगी । फुटकर पत्रों में भी ऐसे वर्णन लिखे मिलते हैं । जिनमें प्रकाशित वर्णकों से कुछ भिन्नता है, पर उन सब वर्णनों के उपयोग से यह ग्रंथ काफी बढ़ा हो जाता है । 'नवीन उपलब्ध ग्रंथ-अभी अभी मेरे भ्रातृपुत्र भँवरलाल को 'श्राभाएक रत्नाकर' नामक ग्रंथ का प्रथम खंड प्राप्त हुआ जिसमें बहुत सी कहावतों के साथ कुछ ऐसे वर्णनों का भी प्रारंभ में संग्रह किया गया है । इससे मालूम होता है कि वर्णकसंग्रहों का व्यापक प्रचार था और ऐसे श्रनेक संग्रह समय समय पर तैयार होते रहे हैं । खोज करने पर और भी ऐसी मूल्यवान सामग्री अवश्य मिलेगी | सभागार की तो अनेक प्रतियाँ प्राप्त हुई हैं। वर्णनसंग्रहों के नाम-वर्णन करने की प्रतिभा प्रत्येक व्यक्ति में समान रूप से पाई जाना संभव नहीं इसलिये कुछ प्रतिभासंपन्न व्यक्तियों ने वर्णनों के संग्रहप्रथ तैयार कर दिए, जिनको अन्य लोगों ने अपनी रचनाओं में यथाप्रसंग स्थान दिया । ऐसे वर्णनसंग्रहों का नाम सभाशृंगार, वागविलास, वर्णना सार, सभा कौतूहल, आदि रखे गए । १. दे० मरुभारती वर्ष ८
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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