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________________ ( १९२) (३१) जीवदया रहित धर्म (६) जिव लवण रहित रसवती, वचन रहित सरस्वती । दघी' रहित अोदन, घृत रहित भोजन । कठ रहित प्रासाद, माधुर्य रहित साट । खड रहित मोदक, आधार रहित गंगोदक। कर रहित गायनु, छंद रहित वायनु । शक्ति रहित पौष, ध्यान रहित गौत्य । मद रहित रावण, वेद रहित ब्राह्मण । परिवार रहित नायक, शाल रहित पायक । फल रहित वृक्ष...| वस्त्र रहित शृङ्गार, सुवर्ण रहित अलकार । तीम जीवदया रहित धम न शोमइ ।। १२, स० १ (३२) जीवदया रहित धर्म (२) नीव दया रहित धर्म न शोभह, जिम मद रहित गजेद्र, लजाहीन कुलवधू , नीति विकल' राजा । - - १ दधि । २ उद्धन। ३ नृत्य रहित गदनु। ४ पुत्स | ५ गुरुव । ६ हाथी, सेवा सहित साथी । ७ इसके दाट “गुण हिन भागर' विशेष - इसके बाद "तप रहित भितुक" वि० फिर वेग रहित घोडे, केस रहित नोडे । प्रेम रहित नगम। दान रहित राजा, सट रहिन सान। तेज रहित सविता, वारी रहित काविना । (विशेष) ८ जिम एतता बाना विना न शोने, तिवा जाणदो। (सू०-३) 'पु०' प्रति के प्रारंभ में इतना पाठ अधिक धन वर्णका। अहो धार्मिक लोकउ । फल्गु भाषित परित्यजी क्षए मात्र । एक तात्विकी वृत्ति । नन सावधान करी पर मानहूँ क्उ धनं नुं नरवत्व नामलउ । ६ हीन १०. हीन नी पु० प्रति में इतना पाठ और अधिक मिलता है - धृत रहित भोजन । लवए रहिन रमवती। आकृति हीन तन्वती। छंद रहित कवि । क्षमा रहित मुनि, जिम ानला पदार्थ मृत्युलोक न शोमइ ।। निम डीव दया रहित धनं न शोमा छ। पु०
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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