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________________ अब ये करीव ३० वर्ष पूर्व बड़ौदा शोरियटल मिरी से प्रकाशित 'प्राचीन गुर्जर काव्यसंग्रह' और मुनि जिनविजय जी संपादित 'प्राचीन गुजराती गद्यमंदर्भ' में संवत् १७८८ में मायास्यवसूनि रचित 'पृथ्वी चंद्र चरित्र' श्रपर नाम 'वागविलास' नामक बंध देखने को मिला तो पदी प्रसन्नता हुई। पर हम अथ में लक्ष्मीबानमनयि ने 'वागविताम' के हो वर्णन कल्पसूत्र की टीका में दिहैं वे प्राप्त नहीं हुए, इसलिये टीक्षा में उल्लिखित 'वागविलाम' नामक रचना और कोई होनी चाहिम धारणा के साथ उसकी शोध में लगा रहा। संग्रह का प्रयत्न-महावि मम समंदर की रत्तनाशों के अनुसंधान फे प्रसंग मे जब बीकानेर के हस्तलिखित जैन ज्ञानभडारों की प्रतियों का अवलोकन शुरू किया तो सर्वप्रथम 'कुतूहन्नन् नानक एक छोटी सी सुदर वर्णनांवाली रचना मिली । उसके बाद मंवत् १७६२ की निनी हुई 'समाशृगार' (नंबर ३ ) की क प्रति प्राप्त हुई। इन दोनों की नस्लें करवा के रख ली गई । तदनंतर सन् १९५० में जैसलमेर की हितीय यात्रा में १६ वों शनानी की लिसी हुई एक थपूर्ण प्रति बड़े उपाय के गति लक्ष्मीचंद जी के पास देखने को मिली । अपूर्ण होने से इस रचना का कोई नाम ज्ञात नहीं हुश्रा । पर पत्रों के प्रत्येक टपात में 'मुक्लानुप्रयाम' नाम लिया था या । प्राप्त ८ पत्रों में १०८ वर्णन प्राप्त हुए पर बहुत खोज करने पर भी इसकी पूरी प्रति प्राप्त नहीं हुई। जैसलमेर से बीकानेर लौटते समय मुनि पुण्यविजय जी के पास जैसलमेर पधारे हुए ढा० भोगीलाल साडेसरा और ढा. जितेंद्र जेतली से सर्वप्रथम मिलना हुया तो उन्हें अनुरोध करके बीकानेर साय ने पाया । प्रसगवश ढा० साडेमरा से यह ज्ञात हुआ कि उनके पास भी वर्णनों की एक विशिष्ट प्रति है । तो मैंने उनसे वह प्रति भी मंगवा ली। ४० पत्रों की वह महत्वपूर्ण प्रति भी अपूर्ण थी । सन् १९५१ के मार्च में ही मैंने उसकी प्रतिलिपि करवा ली। उसके बाद जोधपुर जाने पर वहां के केसरियानाथ जी के भडार में सभाभंगार ( नवर १) के ५८ पत्रों की एक अपूर्ण प्रति प्राप्त हुई इसमें १५८ वर्णन थे। इन सब प्रतियों व रचनाओं के श्राधार से 'जस्थान भारती' में 'कतिपय वर्णनात्मक राजस्थानी गद्य प्रथ' नामक लेख प्रकाशित किया । जिसमें उपरोक्त रचनाओं के छ चुने हुए वर्णन प्रकाशित किये गए । मानवीय वासुदेवशरण जी अग्रवाल को उपरोक रचनानी की
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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