SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १८२ ) गज गतिर चालतउ समस्त भव्य लोक तरणा लोचन नह श्रानंद उपजावतउ | भव्य जीव दराइ हृदय कमलि बोधि बीन वावतउ । पूर्व टिसि तणइ द्वारि पइसी, पूवाभिमुख सिंहासन वइसी । चतुर्मुख होइ, भविक सम्मुख जोइ । वारइ (१२) परिषद पूरी, मिध्यात्व मान मूरी, पापकर्म चूरी । सर्व सत्त्व साधारिणो, योजन नीहारिणी, अमृतानुकारिणी । वारणीयइ करी, लोक ऊपरि हित आदी । चतुः प्रकार, सर्वसार, जग त्रयनइ श्राधार । धर्म्म मार्ग उपदिसइ, भविक लोक तराइ हीयइ वसइ । श्रनेक भव्य जन आदरइ धर्म्म, त्रूटइ जिथी अशुभ कर्म्म | पामीयइ मोक्ष सम्म, इति समव सरण । (सू०) (१०) समवसरण (२) योजन लगइ खेहनुं विस्तार | देव कृत कचवरा पहार | गंधोदक सींचवइ । सौचाम्यसार । पचवर्ण जानु प्रमाण जिह कुसुम सभार देव कृत मणि कनक रूप्यमय त्रि प्राकार विशाल शाल भंजिका सहित रत्न मय दो जेहनु द्वार | यथा स्थान स्थित गणवर देव देवी प्रभृति वार सभा परिवार । उच्चैस्तर तोरण पताका किंकिणी नउ झात्कार । धूप घटिका निर्गछत् । कृष्णा गुरु कु ढरुक तुरुकनो निहाँ धूपोद्वार । चतुर्द्वार | एवं विघ समवसरण || छ || पु० (११) समवसरण (३) जानि इन्द्रादिक देव श्रावइ, समवशरण तणी भक्ति भावहि । एक देव स्कार नीपजावर, रुप्यमय प्राकार, एकदेव विस्तारित तेजः प्रकार निरजावर स्वर्णमय प्राकार | एक देव मणि रतोद्योत विघटितांधकार निपजावइ, रत्नमय प्रकार | एक देव श्रति उदास, नीपनावर प्रतोली द्वारा | एक देव लोक लोचन समुल्लासन, नीपलावर सिहासन । एक देव प्रकाशित टिग्मण्डलु, नीपनावर भामडलु । एक देव वित्मापित जगत्त्रय, नोपजावर छत्र त्रय ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy