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________________ ( १७०) (३४) वृद्ध वर्णक जिवारइ जरा चापइ, तिवारह कर वेवे कापह, पग थरहरइ ।। कडि थाइ कुबी, वांसा नीसरह दूवी, तडपडई 'थीमीट, तास कायइ वहइ रीट, माथउ धूजइ, चालता मासन पूजइ, अाख गई ऊडी, जेहवी धोबीनी कुडी, डागडी झालइ, हलवे हलवे हालइ, मुइडइ पडइ लाल, हसई वाल नइ गोपाल, टागे पडइ वल, सगले टीलइ सल, दाढ दात सगला पड्या, काने तउ ताला जड्या, खाजखिणेइ जिसइ, पीहिरणु खिसइ तिसइ, हाल हुकम न गालइ, डोकरा नु भाख इ कानई, मास गल्यउ, चामडउ नीचउ ढल्यउ, चिंता करी बल्यउ, माथज पल्यउ मुंश्रा रउ जालउ । टाबरा नउ श्रोत्यालउ॥ सहू ना करइ विषास, इसउ वृद्धावास ।। घणातण डोकरा दुखी, ना केईक पुन्यवत सुखी ।। मन सवेग श्राणउ, जउ इसउ बूढापणउ जाणउ, गणि कहइ कुशलधीर, इम नाणि धर्म सूं करिज्यो सीर, इति वडपण वर्णनम् ।। कु. (३५) क्षतांग मनुष्य टूटा, पागला, आधला, असम, अनाथ, असरण । होन, दीन, खीण, राक, रोगी, बधिर, बोबडा, गुगा । गहेला, टोहिला, दूबला, भूखा, तरस्या, इत्यादिक ना जाण । (३६) फूहड़ स्त्री कानसियाली भरिया राखडा, फूहड़ा भरिउ साडलउ । श्रोघरसाला भरिउ ओढणउं, हाथि पाणिउ नहीं, पगि पाणी नहीं ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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