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________________ विणठी हांडी, ते पिण किनारे खाडी ॥ थाली नी पर्डे माडी, पीसवानी वेला मारे डाडी। तुस ना ढोकला ते पिण बहीं मोकला, माथे चढ़े जुना टोकला, रोव छोकरां, समझावे डोकरा ॥ खावा न मिले धान, देखीने भडकें सान, देखीने नाइ डील नु चान ।। (स्वा०) आगणे कुतराना घुरघुराहट, रहेता महा उचाट। सुवा न मिले खाट घणा माखी ना भिणामिणाट || वारणे पिण तुटी त्राटी न मिले एक सूतनी अाटी, दिले पछोडी पणफाटी, निागणे रोडी ।। गाठे न मिले कोडी, घणी धणीयानी नी सरखी जोडी । आगणे काटानी वागर, नाता न मिलै श्रादर । वेसवां न मिले किहा पाधार, जाता ऊघपजे डर || घणा अजगर, शरदीना घर ।। उदेही ना भर' अनेक कोल ना दर । उदरना भर, एहवा दरिद्री ना घर ।। इति दरिद्र घर वर्णनम् ।। ५ ।। ( क ) (कु.) (३१) जुबारी निरतर जू रमइ, आपणउ सयर दमा सगल धन गमइ, भीख भमइ, अलीख (क.) भाषण करइ, निज कुटुंब परिहरइ । अपमान श्रादरइ, अनर्थ परम्परा वरइ जाणी पाणी दिव्य करइ, अनेक नीच कर्म समाचरह सात पूर्विज तणी क्षणि (ऋद्धि) क्षयं करइ, आपणा मस्तक ताइ रमइ ।।२।। (३२) चोर निविष वेस, करइ विवरि प्रवेसु । चडइ श्रटालि मालि, पइसइ परनालि खालि । महा निसंकु, अतिहि त्रिवंकु । १-चर।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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