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________________ ( १२६ ) मुहुंडा रइ कांइ लागी कुटेव, सदैव जिमइ सातू जल सेव । गजीणा खानां, चिहुँ श्रामि साजां । परीसरि हारि किम नइ थाहं श्राकुली, जीमह भली साकली । घणी खाड करी बहू मूल्या,.. अमृत पाहिइ मोठी, ताप अंगीठी । ते तलाई माहि सगुण, श्राव्यउ माह नइ फागुण | सीय ना कोट टीसइ, दरिद्र ताढि मरतां दात पीसइ । ...... ... हिम नाम, न खडाई श्रोढणु लामई । काष्ट दाघ सीय पडई, दांत खटहडइ । - घर जीमइ सपराणी रोटो, पुण न सकीइ नीगमी रात्रि मोटी । फूल माहि पडवड, फूल नह मिसि विइस्यु -टीसइ कूदड़उ । राति सघळीइ रहट वहहं, ऊन्हाळऊ धान गहगहह । पुण्यवत लोक, रहित शोक । रम होळी, फागु दिइ भमल भोळी । ऋतु सारी सबळ, सेवीइं आदा गुळ । रोग नउ ममु, जड सोयाळइ कोइ श्रस् । भल तळ्या गुळ्या नीमद्द, सोयाळा ना दिन सुखिइ गमीह ||४०|| ( मु० ) १ याईजइ २ वह्नि । Σ १६ शीतकाल वर्णन (१) विउ ऋतु हेमंतु, भोगी प्राणीयह अत्यंत । जिहा सीय ना भर, सेवीयइ निवति घर | तुलाईयह पढीय, सखरी सीयरक्ख श्रोढीया | श्रति हि मोटी, मजीठी दोटी । प्रोढ़ी बहसीयह, सीयाळा नह हसीयइ । निमता न घरईयर' उत्सुक, भावइ विविध मोदक | मृत पाहि मीठी, लोक तापइ अंगीठी । तेतला माहि सगुण, श्राव्या माहन्नइ फागुण | सीना कोट दोसs, दरिद्री टाढि मरता दात पीसइ । '
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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