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________________ ( ११६ ) इस्ति सिखलारवि कानि पडियउ न सांभलियइ । । विलोणा तणा झरडका ऊठिया,'पथिया मार्गिथिया । ब्राह्मण तणे घरे वेदझुणि विस्तरियउ ।। धार्मिकलोक अनुष्ठान पर हुया ।। . (पु० अ०) ३ सूर्योदय-वर्णन (१) उदयाचल चूलिकालकार, निज किरण विकाशितान्धकार । प्रवर्तित सकल महीतल व्यापार, चक्रवाक प्रीतिसूत्रतणा सूत्रधारू । निजकर निकर प्रतापाक्रान्त भूतल, इस्यउ सूर्यमंडल । कातिसमूह प्रकासइ, उदंड पमिनी खंड विकासइ ।। ६५ ॥ (मु० ) ४ संध्या-वर्णन (१) सूरज ना किरण पश्चिम ढल्या, पथी सगा नै मल्या । विरही ना हिया बल्या, गोवाल घरै वल्या । चोपू लाव्या, आप आपणा धरै श्राव्या । पखी टलवल्या, माले जावान खलभल्या । चोर सलसल्या, आर्वे हडफल्या । आकाश राता, मेहें करी माता। किहाकिण नीला, किहाकिण- पीला । नानाप्रकार ना रग, भला सुरग। राछ-पीछ सकेल्या, ठिकाणे मेहल्या, कारीगर धरै खेल्या । सक्का पाणी भरें, छटकाव करें, देसोत डेरौं । फूल विखेरै छइ, छडीदार जी-जी करें छई। दुलीचा विछावै छह, उमराव श्रावै छइ । मोजा पावै छइ, कीर्तन था छइ । गुणियन गावै छइ, अवखास जुडै छइ । - पाछा ते मुद्दे छइ, दुसमन ते कुढे छह । हीयो हीपाते अडै छइं, असवार ते खड़े छई। -- एक-एक मा पडै छइ, कुजड़ियां लडै छहं । गुदडी जुडाणी छई, अनेक वस्तु मडाणी छह । दलाल बोलावै छई, रसिया मोलावै छ।। माला गूथावै छइ, बीडा खावै छई। १-उपज । २-ध्वनि । ३--प्रतिक्रमण ( स० १११५०)
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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