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________________ ( ७० ) ८१ अश्व-वर्णन (६) क्याहडा, खूगड़ा, नीलड़ा, हरियाड़ा । सेराहा, इलाहा ऊराहा, बराहा । सिरि खंडिया, वोरिया । इसा नेक जाति तरणा तुरगम अश्व || रूपि हीरउ, कंठि हीरऊ । माणिकउ, फटिकड़ड | रेवंतु जयवंतु । विसालु, सुकमालु, सावष्टभु, गरुयारंभु । गगाजलु, संसारफ्लु । इसा नामाकित घोड़ा ॥ ( पु० श्र० ) ८२ अश्व-वर्णन (७) केहाड़ा, नीलड़ा, हरियाडा, । सेसहा, हराहा, वराहा । कोहाणा, भायारणा । ताई, तुरगी । ऊवसिया, पीवसिया । फाटकिया, भोटकिया । खोलाविया, मल्हाविया, लडाविया, पुलाविया । सरला, तरला । छोटकर्णा, एकवर्णा । ५२ ( स १) ८३ श्रश्वी वर्णन जइ हुई घरि व्याउर' घोड़ी, तंउ घरस्युं दाद्रिय काढीइ झाड़ी पखोड़ी' । पुण प्रिय जोइ लीन, दरिद्रहई जलाजलि दीसह । वरस मह दीसि विवाह, घरि घणी ऋद्धि थाइ । लाखीराउं जिus, घणी हईं डाकुर मानइ गिराइ | निहनइ घरि घोडां सुनाति, देसि विदेसि^ तिहनी विख्याति । किसोरो साखीइ पृथ्वी प्रमाणइ, वात सहु को बोलइ ऊखाणइ । द्रव्य कइ घोडी नइ कोटि, कइ वउणि नई खोटि । घोडी साखियइ एह कारण, निम घणियाणी पिहरइ सोनाना मुण' । एह स्यु' कूलं, घर दोन घोड़े जि रूहूं । नइ तूसह रेवतु, तर वेगड श्राणि दारिद्र् नू । ( मु० ) ८४ ऊंठ-वर्णेन गोली वीतली रट, लांबी नली रउ । जाडै गोडह रड, ससा सेरीयह बगलां रउ | • + क १. प्यार २ ६ व ७ को राजवीनी प्रोटि = प्रकीति निवारण | री ३ टीजर ४ णीनः ठाकुर इंडा नाहि गिगइ ५. परदेस
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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