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________________ ( ६० ) मजा जैन, अप्रतिहत सैन | जिनधर्मं धरा धुरधर । भोग पुरदर । सर्वज्ञ शासन प्रभावक, जिन ग्राजा प्रतिपालक । कुल क्रमागत, सदाचार रत । लीला ललित गर्भैश्वर । साक्षात् लक्ष्मी वर' | जग ज्येष्ठ, प्रति श्रेष्ठ | चतुर्बुद्धि निधान, एवं विध प्रधान | ( खू० ) ५४ मंत्री ( २ ) चाणक्य जिम वुद्धि निधान, राज्य भार स्वीकार मूल स्तभायमान | चतुरशीति मुद्रा व्यापार परिपालन दक्ष, सकल लोक कृत रक्ष । अभयकुमार जिम राज्य पालनोपाय सावधानु, वृहस्पति जिम निखिल नीति-शास्त्र नाणु । एवं विधु मत्री || ६० | ( मु० ) सरीर सकलापु, स्नेहाग श्रालापु । ग्राडंवर मूल, रिपु नन सिरि सूल । उपरोधि नमइ, सर्व जनी कउ वीनवर | समय कहावद्द, समय रहावइ । कूड नी सारह, आलू आरु वारइ । प्रयोजन पृच्छकु, चालतउ उच्छक्कु ॥ ६१ ( मु० ) ५५ मंत्रि वर्णन ( ३ ) चाणक्य जिम बुद्धि निधान, अभयकुमार निम राज्य राखिवा सावधान | वृहस्पति निम निखिल नीति शास्त्राधिगत परमार्थ, चडरासी मुख मुद्रा मथन दक्ष | सकल लोक कृत रक्ष । राजार्थ प्रनार्थ स्वार्थ कारक | अन्याय निवारक । एवं विध महामात्य ॥ छ ॥ ( स० २ ) ५६ महामात्य वर्णन ( ४ ) चतुर्बुद्धि निधानु, महा प्रधानु । कुल क्रमागत, सदारत | नीति शास्त्रिकरी, सगुण धीर । १. नरेश्वर स्वामिधर्म सावधान ( पाठ यहाँ अधिक हौं । )
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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