SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( विभाग ४ - पृ० विभाग ५ पृ. विभाग ६ - पृ० विभाग - विभाग ३० ८७-११४ - स्त्री - पुरुष वर्णन | १२५-१३४ - प्रकृति वर्णन । १३५ - १४४- कलाएँ ओर विद्याऍ । १४५ १५२ - जतियाँ और धवे । १५३ - २७४ - देव वेतालादि । १७५ - २२२ - जैन धर्मसबन्वी । २२३ - २७२ - सामान्य नीति वर्णन | ६ ) विभाग ८ - पृ० विभाग ६ - विभाग १ - भोजनादि वर्णन । नाहटाजी ने इस संग्रह में जिस प्रकार से विषय का विभाग किया है वह उनका अपना है । वर्णन सग्रहों को यथावत् न छाप कर उनमें से एक जैसे विषयों का सकत्वन कर दिया है । इन विभागों का कुछ परिचय श्रावश्यक हैं । पहले विभाग में जो विषय सकलित हैं उनमें देश नामों की चार उचियाँ हैं ( पृ०, ३५ ) | पहली सूची मे १५१ नाम है। पुराणों के भुवन कोशों की जनपद सूचियाँ प्रसिद्ध हैं । उनमे से मूल सूची का सकलन पाणिनि काल में हुआ होगा । उसके बाद गुप्तकाल में उससे बडी एक दूसरी सूची तैयार हुई जो बृहत्सहिता और मार्कण्डेय पुराण में पाई जाती है। इस सूची के भी युगानुनार और सस्करण बनते रहे, जिनमें से एक गुर्जर प्रतिहार युग के महाकवि राजशेखर ने काव्यमीमासा मे उद्धृत की है। उसके बाद तुर्क युग की सूची पृथ्वीचन्द्रचरित में मिलती है । उस समय की सूची में ६८ देशों के नाम गिनाए जाने थे । वर्णरत्नाकर मे भी यह सूची रही होगी किन्तु ग्रब वह ग्रश खण्डित हो गया है । सभा-शृगार की यह सूची मुगल काल में संगृहीत हुई होगी । इसमें नए और पुराने नामों की मिलावट है। पुराने नामों में शक, यवन, मुरुण्ड, हूण, रोमक, काम्बोज, कात्र आदि हैं । ताईक ( सख्या १४४ ) नाम ताजिक देश के लिये है | भारत से बाहर के देशों की सूची पर द्वीप नाम के अन्तर्गत लग दी गई है, जिसमे हुर्मुन, मक्का मदीना, पुर्तगाल, पीगु, रोम, अरच बलख, बुखारा, चीन, महाचीन, फिरंग हबम आदि के नाम तो ठीक हैं, किन्तु दीव, घोघा, डाहल, मलवार, चीउल, मुल्तान, जम्मू, आबू और ढाका के नाम इस देश के ही हैं । १६ के अन्तर्गत जो संख्याऍ है उन्हें देशो की उपज कहना ठीक नहीं । वे उसी प्रकार की ग्राम संख्याए है जिनका उल्लेख ऊपर श्रा चुका है। सूची ११८, ११६ में नगरों के नाम है जिनमें कुछ नए और कुछ पुराने मिले हुए हैं | १|११ से १।२४ तक नगर वर्णन सबन्धी वर्णक महत्व -
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy