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________________ ( ३८ ) विवेक नारायण, परनारी सहोदर,' भरै अनेक ना उदर । पराक्रमवंत, दानवंत | सत्यवंत, सोमवंत । याचक जन कामधेनु, एवं विध राजान ॥ चि० १४ राजा (१४) दान वीर, सग्राम घीर 1 वैरी कुल खंडन, निजकुल मंडन । सत्यवाच अविचल, अति गाढो कल | संग्रामे स्थिर, प्रतापै युधिष्ठिर । पर राष्ट्र इंदप सल्ल, बीडी चयरागर, गुणं रत्न सागर । साहरण समुद्र, दान खडै निर्जित दखि । कप्पूर धारा प्रवाह, अति स्वोछाह । सेवक जन क्ल्प वृक्ष, अति दच्छ । विचक्षण, छत्रीस लक्षण । याचकजन चिंतामणि, राजा मडल चूडामणि । प्रतापै दिनेश्वर, गाढो मलवेसर । इसौ जित शत्रु नरेश्वर ॥ चिन् १५ राजा शरीर वर्णन (१५) राजा कर्ण, गौर वर्ण, लंब कर्ण । विशाल नेत्र, फूल गात्र । उपराही रोमराय, हीएं श्रीवत्स, पाय पद्म, हस्त चक्र एक अखंड प्रताप, ऊंचो लक्ष | कटि लक, मूल वक इति शरीरवर्णनम् ( चि० ) * सेवक जन वत्सल । इस प्रति में ऊपर लिसे प्रथम चितौड़ की प्रति के अत में यह शरीर वर्णन भी लिखा है ।
SR No.010755
Book TitleSabha Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherNagri Pracharini Sabha Kashi
Publication Year1963
Total Pages413
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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