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________________ स्मरण कला ५९ कवि माघ और श्रीसिद्धसेन दिवाकर इनके प्रभाव से ही चिरजीव बने हैं। मनु, पाराशर, अत्रि, भारद्वाज, वसिष्ठ, विश्वामित्र और अगस्त्य आदि अनेक दूसरे ऋषि, महर्षियो द्वारा प्राप्त की हुई दिव्यता इन्ही के सहवाम का फल हैं । चरक और सुश्रु त, वाग्भट धन्वतरी, नागार्जुन और पादलिप्तसूरि आदि रसायनशास्त्री तथा महावीराचार्य और भास्कराचार्य, आर्यभट्ट तथा वराहमिहिर, महेन्द्रसूरि आदि गणित-ज्योतिष शास्त्रियो ने अपनी कार्य सिद्धि के लिए उनका ही आश्रय लिया है। महाराज अशोक, चन्द्रगुप्त, हर्ष, और अकबर, किस कारण दूसरो की अपेक्षा अधिक चमके और वर्तमान काल पर दृष्टिपात करे तो श्री रवीन्द्रनाथ ठाकुर को किसने विश्वविख्यात वनाया ? महात्मा गाधी को किसने सत्याग्रह का सिद्धान्त दिया ?. जगदीशचन्द्र वसु, प्रफुल्लचन्द्र राय और रामन आदि को किसने वैज्ञानिको की प्रथम पक्ति मे बिठाया ? जरा दूर दृष्टि निक्षेप करें हो वहाँ भी इन महारानी का अजब प्रभाव फैला हुआ है । अरिस्टोटल और प्लेटो, काण्ट और हय म, शापेनहावर और नित्शे, किसके आधार पर आज तक प्रख्यात है ' शेक्सपीयर और शैली, ब्राउनिंग व वर्डस्वर्थ, इमर्सन और इ गरसोल तथा एच जी वेल्स और बर्नाडशा ने किसके आधार पर लाखो मनुष्यो के हृदय मे स्थान पाया ? सीजर, नेपोलियन, कैसर और लेनिन को ससार आज क्यो याद करता है ? गेलीलियो प्राइजक न्यूटन वाटस, एडिसन, मैडम क्यूरी, आइ स्टीन आदि को किसने दिव्य चक्षु प्रदान किये ? और जगत के धनकुबेर फोर्ड, कारनेगी, राक्फेलर, इस्टमैनकोडक आदि को भी इस महारानी ने ही धन के ढेर पर बिठाया है। इसलिए महारानी कल्पना कुमारी का उचित सम्मान करना अपना कर्तव्य है। मैं स्वय उन्हे खूब सम्मान देती है और उन्ही के सहयोग से अपनी गाड़ी चलाती हूं। महारानी कल्पना कुमारी की इतनी प्रशस्ति सुनकर ईर्ष्यादेवी से रहा नहीं गया वे एकदम उबल पड़ी-“और हमने तो कुछ किया ही नही। यही न ? अरे महरबानो ! मनुष्य कितना ही प्रमादी और कितना ही अबुध ( नासमझ ) हो पर मैं जाकर ऐसा
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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