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________________ ४८ स्मरण कला वस्तु को बारीकी से देखने की आदत डालने के लिए निम्नोक्त मुद्दे ध्यान में रखने चाहिए१. वस्तु का सामान्य दर्शन २. ऊँचाई .. ३. लम्बाई ४. चौड़ाई ५. मुख्य अंग ६. हर एक अंग का घाट ७. सामान्य रंग ८. अंगोपांगों का रंग ६. किसकी बनी हुई है ? १०. कहाँ रही हुई है ? . ११. किस वस्तु के साथ मेल खाती है ?. . १२. खास निशानी क्या है ? ___कानो का यदि बराबर उपयोग हुआ हो तो वे अति दूर की आवाज सुन सकते हैं। बहुत स्पष्ट सुन सकते हैं, उनकी तरतमता को भी याद रख सकते हैं । एक अच्छा संगीतकार श्रवण मात्र से स्वर की कितनी श्रेणियों को याद कर लेता है। पदचाप की पहचान करने वाले लोग पैरो की आहट मात्र सुनकर बता देते हैं कि यह किसके कदमो की आवाज है । इसी प्रकार पानी को खोज करने वाले जमीन पर कान रख कर उसके भीतर से २५ फुट, ५० फुट या उससे भी अधिक गहरे रहे पानी के स्रोत को खोज निकालते हैं। यदि एकाग्रता के आधार पर आवाज को पृथक पृथक पहचाना जा सकता है तो हम तीसरी मंजिल के नीचे हुई बात को बराबर सुन सकते हैं । श्रवण-शक्ति की सीमा होने पर भी अपन उसकी जितनी शक्ति मानते हैं; उसकी अपेक्षा अनेक गुणा अधिक है, यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए । विविध स्वरो की वार-बार तुलना करने पर तथा एकाग्रता से श्रवण करने की आदत डालने से श्रवण-शक्ति को बहुत तेजस्वी बनाया जा सकता है।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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