SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ रमण कला क्लिष्ट श्लोक याद कर लेते। उनके समय के महाकवि धनपाल द्वारा रचित तिलक मजरी नामक ग्रन्थ राजा के आदेश से नष्ट किये जाने पर भी उनकी पुत्री तिलक-मजरी ने अक्षरशः फिर से लिखा दिया था। गुजरात के महान् ज्योतिर्धर श्री हेमचन्द्रसूरि जी प्राचार्य को लाखो श्लोक याद थे। वे बिना रुके अस्खलित गति से ग्रन्थ रचना कर सकते थे। युक्त प्रान्त मे हुए बचु कवि को दो लाख पद्य याद थे । स्वामी विवेकानन्द, श्री सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, महाकवि गटू लाल जी, श्रीमद् राजचन्द्र आदि अनेक महान् पुरुष अपनी अद्भुत स्मरण-शक्ति के लिये भारत भर मे विख्यात हैं। विदेश की तरफ दृष्टि उठाये तो सायरस अपनी सेना के हर एक सैनिक को नाम पूर्वक पहचानता था। रोमन सेनेटर और फिलसूफ सेनेको २००० नाम सुनकर उन्हे क्रमग दुहरा सकता था। लॉर्ड मेकाले ने मात्र चार वर्ष की अल्पायु मे ही पत्र पढना सीख लिया था । वे समग्र उनको याद हो गये थे । वाल्टर स्काट के "ले अॉफ दी लास्ट मीन्सट्रल" को उन्होने एक बार पढ कर अपनी माता को अक्षरश सुना दिया था। दूसरे भी अनेक ग्रन्थ उन्हे इसी तरह याद हो गये थे। फ्लोरेस के राज पुस्तकालय के ग्रन्थपाल ( लायबेरियन) मेग्लीयावेची के अनेक पुस्तको का सार दिमाग मे भरा हुआ था। जिससे किसी भी पुस्तक का अवतरण वह स्मृति मात्र से दे सकता था। अमेरिकन सिविल-वार के समय मत्री पद पर कार्य करने वाले मी. स्टेन्टन प्रख्यात नवल कथाकार डीकन्स की कोई भी नई कहानी का कोई भी प्रकरण अक्षरश: वोल सकते थे। ई स १८६८ मे एक भोजन प्रसग मे उन्होने इसका प्रयोग करके दिखाया था । डा जहोन लेडन कलकत्ता आए, तब कानून का एक ऐसा प्रश्न उठा कि जिसमे पार्लामेटरी कानून पुस्तिका के अक्षर अक्षर की जरूरत पड़ी, परन्तु कोर्ट मे उसकी नकल नहीं थी। ऐसी
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy