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________________ स्मरण कला ! १४३ ७८ न० ६३ का विषय :-योग को दूसरी-तीन सख्याएं सुनानी। ७९. सोलहखानों वाली यत्र पूर्ण करना । ८० ३६ अ क की संख्या का एक टुकडा सुनना। ८१ ससार की किसी भी भाषा का छह शब्दों का एक वाक्य याद रखना । (नं० ६ के अनुसार ) 1 ८२ ३६ अ क की संख्या का एक टुकड़ा सुनना । ८३. चालू वार्ता को पूर्ण करना । ८४ संसार की किसी भी भाषा का छह शब्दो का वाक्य । ८५. ३६ य क की संख्या का एक टुकडा । ८६-८७ चौथी दो वस्तुप्रो का पीछे से स्पर्श कराना। ८८ योगवाली शेष को दो संख्याएं सुनाना । ८९-९० चौथे दो चित्र देखने । ९१-१०० ताश के पत्तो मे से चौथे समूह के दस पत्तो को याद रखना । इन विषयो को धारण करने के बाद उनका उत्तर बराबर दिया गया। ता० १०-१-४२ के दिन सायकाल बम्बई के मर कावस जो जहाँगीर हाल मे सेठ प्रारणलाल देवकरण नानजी के जे० पो० के सभापतित्व मे हुए अवधान-प्रयोग मे निम्नोक्त विषयो को धारणा की गई १-१६ १६ व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग दिखाई गई वस्तुग्रो को याद रखना। १७ चार अलग-अलग व्यक्ति अपने मन मे सख्या धारण करेंगे अवधानकर्ता उन हरेक को एक साथ गरिणत कराकर सबका उत्तर एक ला देंगे। १८ नव खाना वाला सर्वतोभद्र यत्र भरना ।१९ सोलह खाना वाला सर्वतोभद्र यत्र भरना । २० ईस्वी सन् की बीसवी सदी के किसी भी वर्ष के किसी भी महीने की कौन सी तारीख को क्या वार था बताना ।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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