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________________ ११८ । स्मरण कला इनमे जिन चित्रो की कल्पना बराबर नही हुई हो, उन्हें याद करने में मुश्किल होगी; इसलिए कल्पना जोरदार करनी चाहिए जोरदार कल्पना तुरन्त ही ताजी हो जायेगी। अब क्रमशः टुकड़ो पर चिन्तन करो, ४५ अङ्क की सख्या बराबर याद आ जाएगी। इस रीति से अको पर शब्द तैयार करने का अभ्यास आगे बढेगा और कल्पना चित्र बराबर बनते जाएंगे। उस आधार पर बहुत बडी ६० अ को की और ६० अंको की संख्या भी याद की जा सकेगी और उससे भी बडी संख्या याद रखनी हो तो अक चित्र १०० तक तैयार करने चाहिए, जिससे ३०० अंक की रकम भी याद रखी जा सकेगी। संख्या की तरह शब्द भी अक चित्रो के सहारे याद रखे जा सकते है, परन्तु उनका विशेष वर्णन अब बाद के पत्रो मे करूंगा। मैं मानता हूँ कि बृहत सख्या की धारणा के लिए यह पद्धति तुम्हे बहुत उत्तम लगेगी। मगलाकांक्षी धी० मनन __ 'नारी गज प्रेम वश हिन्दे', तीस क्रमांक चित्र, उन्हे बनाने की रीति, हरेक खाने मे एक क्रमाक-चित्र की स्थापना । व्यजनो का अंक की दृष्टि से पूर्ण वर्गीकरण, उनके आधार पर शब्द निर्माण ३० अक और ४५ अक की रकम याद रखने के उदाहरण ।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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