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________________ १०८ ३ स्मरण कला यह कल्पना आश्चर्यजनक और विचित्र है, इसलिए बराबर याद रह जाएगा । चार-पांच बार के ४५ और १. बार छत्तीस दफे कहना ' पडा। एक बार उसका १ और छत्तीस दफे के ३६, इस तरह ४५१३६ नबर हुए। (३) सी. फडके तीन अक्षर का नाम और टेलीफोन का नंबर भी तीन से शुरू होता है। आँख पर काला चश्मा और दोनो हाथों मे आठआने । इस कल्पना से यह नबर याद रखना सुगम है । मि. फडके के याद आते ही तीन (३) याद आयेंगे। काला चश्मा दो शून्यों की याद दिला देंगे और हाथो मे आठ-आठ आनो से दो आठ की सख्या याद आएगी । यह सब मनमे इतनी शीघ्रता से संबद्ध होगा कि तुम्हे भी ख्याल नही रहेगा कि किस प्रकार यह सब घट गया और कैसे याद आ गया। (४) अरदेशर कड़ाका पैसठ वर्षीय अरदेशर काका पहले चार बार भोजन करते, फिर दो बार और अब एक बार खाना खाने लगे हैं । समक्ष खडा आदमी पूछता है क्यो बाबा बुढापा अधिक उतर आया क्या ? पैसठ वर्ष के ६५, चार वार के ४, दो बार के २, एक बार का १ । पिछले तीन अक तो आवे-आधे होते चले गये है, इसलिए सरलता से याद पा सकते है। सिर्फ उस प्रकार से एक बार विचार लेना अपेक्षित है। अको को याद करने के लिए एक दूसरा उपाय भी है । वह को को अक्षरो मे परिवर्तित करने का है। अक सव मिलकर १० है। वे इस प्रकार है-१, २, ३, ४, ५, ६, ७ ८, ९, ०, । इन्हे ऐसे अक्षरो मे वदलना चाहिये कि जो सामान्य प्रकार से भाषा मे खूब व्यवहृत होते हो तो उनके शब्द बन सकते हैं और इस तरह वे पद्धति पूर्वक याद रह सकते है। मानो कि हमने उनके लिए निम्नलिखित अक्षर तय किये है
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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