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________________ १०० स्मरण कला उसे पहला गिनना चाहिए और अन्त मे छुट्टी लेनी चाहिए । इसलिए रविवार को अन्तिम रखा जाता है। इसमे जो क्रम जिसे अनुकूल हो उसे स्वीकार करें। इसमे कोई अड़चन नहीं परन्तु व्युत्क्रम नहीं होना चाहिए। ___ महीनों को नीचे के ढंग से याद रखना चाहिए कार्तिक, मृगसिर, पोष, माह, फागुन, चैत्र, वैशाख, जेठ, आषाढ, श्रावण, भादव और आश्विन । जो वर्ष का प्रारभ चैत्र से करते है, वे महीनो को निम्न प्रकार से याद रखते है । चैत्र, वैसाख, जेठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रव, आश्विन, कार्तिक, मृशसिर, पोष, माह और फागुन । प्राचीन समय मे कुछेक भागो मे वर्ष की शुरूआत श्रावण महीने से होती थी । वहाँ श्रावण, भादव, आश्विन, कार्तिक....... आषाढ । इस क्रम से महीने याद रखे जाते थे। हर प्रकार में कोई एक क्रम ग्रहण किया जाता है और उसमे ही व्यवहार चलता है । अग्रेजी महीनो की शुरूआत जनवरी से होती है, तो वे जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रेल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सेप्टेम्बर, अक्टूबर, "नवम्बर और दिसम्बर इस क्रम से नाम याद रख सकते हैं । इसी प्रकार हरेक देश के या समय के प्रचलित महीनो को समझना चाहिए। वजन को याद रखने के लिए भी उसे किसी अच्छे क्रम मे जचा लेना चाहिए। अङ्क, सख्या, शब्द और माप जैसे क्रम से सीखे हुए हो तो ही बरावर याद रहते है और व्यवहार मे उपयोगी साबित होते है, वैसे अन्य वस्तुएं भी किसी प्रकार के क्रम से ग्रहण की हुई हो तो ही बराबर याद रहती हैं। उदाहरण के तौर पर अवयवो के नाम क्रम से सीखे होगे उसे वे बराबर याद रहेगे और जिसने चाहे जैसे ढग से सीखे होगे, तो वह उनमे से किसी न किसी अवयव का नाम जरूर भूल जायेगा । क्रम से सीखे नाम निम्नलिखित बोले जायेगे-मस्तक, कपाल, आँख, नाक, कान, मुख, गला, कन्धा, हाथ, छाती, पेट, जघा, घुटना, पाणि अथवा पाणि, घुटना, जघा, पेट, छाती, हाथ,
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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