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________________ ४१७ आपके उत्तराधिकारी ७ सेवा मन्त्री-पण्डित श्री किशनलाल जी महाराज । ८ प्रचार मन्त्री-धर्मोपदेष्टा श्री फूलचन्द जी महाराज । ६ प्रचार मन्त्री पडित श्री प्रेमचन्द जी महाराज । १० आक्षेप निवारक-पण्डित श्री पृथ्वी चन्द जी महाराज । ११ साहित्य शिक्षण मंत्री-पंडित श्री पुष्कर मुनि जी महाराज। १२ विहार मंत्री-पंडित श्री मोती लाल जी महाराज (मेवाड़ी) १३ प्रायश्चित्त मन्त्री-पण्डित श्री समर्थ मलजी महाराज । १४ दीक्षा मन्त्री-पंडित श्री सहस्रमल जी महाराज । १५ साहित्य विभाग-सुलि श्री सुशीलकुमार जी शास्त्री प्रभाकर। एक प्रस्ताव द्वारा उन सब आचायों, युवाचार्यों, उपाध्यायों, प्रवर्तक आदि पदवियों के धारक मुनिराजों को धन्यवाद दिया गया, जिन्होंने संघ की एकता के लिए अपनी अपनी पदवियों का विलीनीकरण किया था। इसी सम्बन्ध में पडित मुनि शुक्लचन्द जी महाराज ने इससे पूर्व अपनी युवाचार्य पदवी का विलीनीकरण कर दिया था। यह भी निश्चय किया गया कि इस मन्त्रीमण्डल का कार्यकाल तीन वर्ष होगा। मन्त्रीमण्डल में मतभेद होने की दशा में अतिम निर्णय करने का अधिकार प्राचार्य को दिया गया। यह व्यवस्था की गई कि मत्रीमण्डल यथासंभव वर्ष में एक बार अपनी बैठक अवश्य किया करे। किन्तु यदि प्रतिवर्ष मिलना संभव न हो तो प्रति तीसरे वर्ष अपनी बैठक अवश्य करे । यह भी निश्चय किया गया कि मन्त्रीमण्डल की बैठक में स्वयं उपस्थित
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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