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________________ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी "मेरा अनुमान है कि अभी मैं बारह मास तक नहीं मरूगा।" - इस पर पण्डित शुक्लचन्द जी ने पूछा "फिर तेरहवें माम में ?" इसका उत्तर देने से उन्होंने इकार कर दिया। तब पण्डित शुक्लचन्द जी ने फिर पूछा "तो चौदहव महीने में ?" इस पर आपने उत्तर दिया कि "वहां तक कान नहीं चलता।" इस प्रकार आपने पण्डित मुनि शुक्ल चन्द जी को अपने स्वर्गवास का समय बहुत कुछ बतला दिया था। किन्तु यह बतलाने के साथ ही आपने उनको यह भी ताकीद कर दी थी कि "इस बात को किसी के सामने न खोला जावे, अन्यथा अक्त लोग भारी आफत मचा देगे ।" __ आपके स्वर्गवास से तीन दिन पूर्व आपकी सेवा मे निम्नलिखित मुनिराज थे-- १ युवाचार्य श्री काशीराम जी महाराज. २ मुनि ईश्वरदास जी महाराज, ३ मुनि हर्षचन्द जो महाराज, ४ मुनि माणिकचन्द जो महाराज तथा ५ तपस्वी मुनि सुदर्शनलाल जी महाराज। ___अपने स्वर्गवास से तीन दिन पूर्व आपाढ़ शुक्ल तीज मंवत् १६६३ को आपने मुनि सुदर्शनलाल जी से कहा "तुमने मेरी बड़ो भारी सेवा की है। अभी तुमको तीन दिन का कष्ट और है। किन्तु यह बात किसी से कहना नहीं, क्योंकि इसको सुन कर सहस्रों व्यक्ति आ जावेंगे।"
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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