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________________ र दिनान अब आपने मुनि शुक्लचन्द्र जी की दीक्षा ३२३ के जैसी शिक्षण सुविधा अन्य गाँवों मे न होने के कारण अन्य अनेक गांवों के विद्यार्थी भो दडौली मे पढ़ने आया करते थे। इन विद्यार्थियों मे नाहड़ नामक गांव का एक ब्रह्मदत्त नामक विद्यार्थी भी था । शुक्लचन्द्र जी की, उससे अच्छी मित्रता हो गई थी। पंडित बलदेव शर्मा जी का कुछ दिनों गांव मे रहने के उपरांत देहान्त हो गया। अस्तु आपके चाचा ने अबोहर मंडी जाकर एक बिसातखाने की दुकान खोल ली। यह दूकान आपने फर्रुखनगर निवासी लाला छज्जूमल के साजे में खोली थी। अब आपको पढ़ाई से हटाकर अबोहर मंडी की दूकान पर भेज दिया गया। अबोहर मे आपका समय प्रायः श्रामोद प्रमोद में ही व्यतीत हुआ करता था। उधर गांव में बुलाकर आपकी सगाई भी कर दी गई । ____ एक बार आपका मित्र ब्रह्मदत्त अपने गांव नाहड़े से चल कर आपके पास अबोहर मंडी में मिलने के लिये आया। अबोहर से वह आपको आग्रहपूर्वक अपने साथ अपने गांव नाहड़ ले गया। ____ जब आप ब्रह्मदत्त के साथ नाहड़ पहुंचे तो वहां ब्रह्मदत्त की माता ने आपके प्रति अत्यधिक प्रेम प्रदर्शित किया। किन्तु जिस समय वह आपको भोजन करा रही थी तो उसके नेत्रों मे आंसू भर आए। आपने उसके नेत्रों में आंसू देख कर उससे शुक्लचन्द्र-माता' तुमको किस बात का दुःख है । ' तुम्हारे नेत्रों में आंसू क्यों आ गए ? माता--नहीं बेटा! कुछ नहीं। यों ही कुछ खयाल हो आया।
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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