SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 299
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गणि उदयचन्द जी का सम्पर्क २६१ किन्तु मुनि उदयचन्द जी को दीक्षा लेते ही परीक्षा की । 'अग्नि मे तपना पड़ा। श्राप पर मलेरिया का सयंकर आक्रमण हुआ। जिसमे आपको पन्द्रह बीस दिन लक अत्यधिक कष्ट सहन करना पड़ा। किन्तु आपने उस कष्ट को अत्यन्त धैर्यपूर्वक सहन किया । आपकी सहनशीलता को देख कर पूज्य सोहनलाल जी ने कहा _ 'उदय अपने समय में एक महान् तेजस्वी मुनि बनेगा।' पूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज ने अपने मुनि मंडल सहित कांधला के चातुर्मास के बाद मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों के देहाती क्षेत्रों में भ्रमण किया। ग्रामीण जनता ने पूर्ण भक्ति भावना से आपके मुनि संघ का स्वागत किया। आप जहां भी पहुंचते श्री संघ में हर्ष का समुद्र हिलोरें लेने लगता है आपके व्याख्यान में इतनी अधिक भीड़ होती थी कि आप प्रायः सार्वजनिक रूप से खुले चौक में भाषण दिया करते थे। नव दीक्षित मुनि उदयचन्द ने भी गांवों के धर्म प्रचार में भाग लिया। आपका मुनि संघ विहार करता हुआ मेरठ जिले के बड़ौत नगर पहुंचा। वहां तपस्वी मुनि श्री लीलाधर जी महाराज, मुनि श्री हरनामदास जी (सुप्रसिद्ध महामुनि श्री दयाराम जी महाराज के गुरुदेव) महाराज और मुनि श्री शिवदयाल जी महाराज श्रादि संत विराजमान थे। सुप्रसिद्ध पण्डिता आयो श्री पार्वती जी महाराज भी उन दिनों बड़ौत में ही थीं। वह बाल मुन्ति उदयचंद जी की विलक्षण ज्ञानचेतना को देख कर बहुत प्रसन्न हुई। वहां से चल कर पूज्य श्री सोहनलाल जी सहाराज अपने मुनि मण्डल सहित ग्रामानुग्राम धर्म प्रचार
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy