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________________ प्रतिवादी भयंकर मुनि सोहनलाल जी २३६ इस चातुर्मास मे दोनों ओर के गृहस्थों ने इस बात का यत्न किया कि आत्माराम जी मुनि श्री सोहनलाल जी के साथ शास्त्रार्थ करें | किन्तु अनेक बार समय देने पर भी आत्माराम जी कभी भी मुनि सोहनलाल जी के सामने नहीं आए । जब मुनि सोहनलाल जी ने देखा कि आत्माराम उनके सन्मुख आने को तय्यार नहीं है तो उन्होंने फिरोजपुर वाले लाला त्रिलोकचन्द से इसकी चर्चा की । तब लाला त्रिलोकचन्द ने आपसे कहा "आप आत्माराम जी के नाम कुछ प्रश्न लिख कर मुझे दे दें। मैं उनके पास जाकर उनके उत्तर उनसे लेकर आपको ला दूंगा ।" अस्तु मुनि सोहनलाल जी महाराज ने निम्नलिखित पांच प्रश्न लिख कर आत्माराम जी के लिए लाला त्रिलोकचन्द को दिये प्रश्न १. संवेगी लोग मूर्ति पूजन के प्रमाण रूप मे यह कहते हैं कि द्रोपदी ने अपने विवाह के अवसर पर प्रतिमा पूजन किया था । सो द्रोपदी ने किस जिन की प्रतिमा का पूजन किया था ? स्थानांग सूत्र में तीन प्रकार के जिन, केवली अथवा अर्हन् बतलाए गए हैं अवधि ज्ञानी, मन:पर्यय ज्ञानी तथा केवल ज्ञानी । फिर उस प्रतिमा की किस महात्मा ने प्रतिष्ठा करवाई थी ? 'उस प्रतिमा का मंदिर किस तीर्थकर के उपदेश से बनाया गया था ? ज्ञातृधर्म कथांग के सोलहवें अध्याय में ही यह बतलाया गया है कि द्रोपदी नानाकृत थी । अर्थात पिछले जन्म मे वह
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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