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________________ २३२ . प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी "जैसी उनकी इच्छा हो।" । इस पर विशन चन्द ने पूछा "यदि आत्मा राम जी प्रश्नोत्तर करना चाहें तो " तब पूज्य महाराज ने उत्तर दिया "यदि आत्मा राम जी की इच्छा प्रश्नोत्तर करने की हो तो हम तय्यार हैं। किन्तु यदि कोई अन्य व्यक्ति प्रश्नोत्तर करना चाहे अथवा आत्मा राम ही किसी अन्य स्थान पर प्रश्नोत्तर करना चाहें तो हम श्री सोहनलाल जी को भेजेंगे।" उनके चले जाने के उपरांत श्री सोहनलाल जी महाराज ने १०० प्रश्न लिख कर आत्मा राम जी के पास भेजे। किन्तु वह उन प्रश्नों का कोई उत्तर न दे कर वहां से जंडियाला की ओर चले गए। मुनि सोहनलाल जी पूज्य अमरसिंह जी की सेवा में दो तीन वर्ष ही रहने पर चर्चा तथा शास्त्रार्थ करने में अत्यधिक चतुर वन गए। श्रोताओं पर आपका बड़ा भारी प्रभाव पड़ता था । आपने उस भयंकर समय में पथभ्रष्ट होने वाले अनेक व्यक्तियों की रक्षा की। आपने जिस साहस से विरोधियों का सामना किया उसको सारी जनता जानती है। पूज्य श्री के पास से जाकर आत्मा राम जी गुजरानवाला पहुंचे। वहां के श्रावक उनसे स्थानकवासी वेष मे ही बचने लगे थे। जब उन्होंने वहां संवेगी के वेष मे जाकर प्रचार करना आरम्भ किया तो गुजरानवाला के भाइयों ने पूज्य श्री अमरासह जी महाराज की सेवा में निवेदन पत्र भेजा कि ___ "यहां आत्मा राम संवेगी ने वहुत ऊधम मचा रक्खा है। इसलिये आप क्षेत्र तथा धर्म की रक्षा के लिये किसी योग्य मुनि को यहां भेजने की कृपा करें।"
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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