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________________ (छ.) इस प्रकार बौद्ध प्रन्थ कहीं भी यह नहीं कहते कि भगवान् महावीर स्वामी जैन धर्म के आदि उपदेष्टा थे। वैदिक सम्प्रदाय का कोई ग्रन्थ भी भगवान महावीर स्वामी को जैन धर्म का आदि उपदेष्टा नहीं मानता। वास्तव में यह कल्पना पाश्चात्य देश के विद्वानों के मस्तिष्क की उपज है, और उन्होंने ही इस सिद्धान्त का सब कहीं प्रचार किया है। क्या भगवान् पार्वनाथ जैनधर्म के आदि उपदेष्टा थे ? - भगवान पार्श्वनाथ के जैन धर्म का आदि उपदेष्टा होने के सम्बन्ध में भी किसी प्राचीन ग्रंथ में उल्लेख नहीं पाया जाता। कुछ नवीन ग्रन्थों में ऐसा अवश्य लिखा मिलता है। सांगीत गोपीचन्द नामक एक बहुत आधुनिक हिन्दी ग्रन्थ से ऐसा 'अवश्य लिखा मिलता है, किन्तु वहां ऐसी अनेक बातों को भी लिखा गया है, जिनसे लेखक का जैन धर्म के प्रति विद्वप' बिल्कुल स्पष्ट हो गया है। अतएव ऐसे अप्रामाणिक लेखक की बात को किसी प्रकार भी प्रमाण नहीं माना जा सकता। प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभ देव इसके विरुद्ध अनेक सनातनधर्मी तथा बौद्ध ग्रन्थों में जैन धर्म का प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव को माना गया है । - बौद्ध अन्य न्याय बिन्दु की साक्षी का ऊपर वर्णन किया ही जा चुका है। अब सनातनधर्मी तथा वैदिक ग्रन्थों की इस विषय में सम्मति पर विचार किया जाता है।
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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