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________________ प्रस्तावना आज भारत को स्वतंत्र हुए लगभग छै वर्ष हो गए, किन्तु उसमें स्वराज्य स्थापित हो जाने पर भी स्वराज्य की स्थापना अभी मृगमरीचिका ही बनी हुई है। युद्धपूर्व काल की महंगाई सुरसा के बदन के समान इतने भयंकर रूप में बढ़ती जाती है कि आज अत्यधिक बेरोजगारी बढ़ जाने पर भी महंगाई कम नहीं होती । युद्धकाल की अपेक्षा तो वह कई गुना बढ़ चुकी है। ___यद्यपि भारत के प्रधानमंत्री मानवोचित गुणों से विभूषित एक उच्चकोटि के राजनीतिक व्यक्ति हैं, किन्तु तब भी देश में भृष्टाचार, घूसखोरी, पक्षपात तथा चोर बाजार आदि की बुराइयां इतने अधिक परिमाण में प्रचलित हैं कि उसमें अत्यन्त सम्पन्न तथा निम्न श्रेणी के मजदूर ही अपना निर्वाह सुचारु रूप से कर सकते है। मध्य श्रेणी तो उसके कारण एकदम नष्ट होती जा रही है । मध्य श्रेणी में आज इतनी भयंकर बेकारी आई हुई है कि योग्यतम व्यक्ति को भी आज काम मिलना असम्भवप्राय है। शासन में भृष्टाचार तथा पक्षपात इतना अधिक बढ़ गया है कि जब कोई स्थान खाली होता है तो जनता को उसकी सूचना मिलने से पूर्व ही पदाधिकारी लोग उसकी पूर्ति कर - लेते हैं। इस प्रकार हमारे भारतीय समाज में आज आचरण की त्रुटि इतनी अधिक हो गई है कि जितनी कभी भी नहीं थी। यह एक
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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