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________________ सम्यक्त्व प्राप्ति नादंसणिस्स नाणं, नाणेण विना विणा न हुन्ति चरणगुणा । अगुणिस्स नत्थि मोरखो, नत्थि श्रमोक्खस्स निव्वाणं ।। . उत्तराध्ययन सूत्र, अध्ययन २६, गाथा ३० सम्यक्त्व के बिना ज्ञान नहीं होता। ज्ञान के बिना श्राचरण के गुण नहीं होते । विना गुण के कर्मों से नही छूटते, तथा बिना कर्मों से छूटे निर्वाण नही होता। भगवान् महावीर स्वामी ने अपने प्रवचन में कहा है कि "हे प्राणी ! सम्यक्त्व को अंगीकार किये बिना आज तक किसी के आत्मा ने अपना न तो कल्याण किया, न करते है और न करेंगे।" इस पर गौतम गणधर ने भगवान से प्रश्न किया । "हे भगवन् ! विना सम्यक्त्व के उत्कृष्ट चारित्र का पालन करने वाला व्यक्ति अधिक से कितने भव के बाद मोक्ष जा सकता है ?"
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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