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________________ चलो रे भाई मोक्षपुरी गाड़ी खड़ी रे खड़ी रे तैयार चलो रे भाई मोक्षपुरी ।। सम्यक दर्शन टिकट कटाओ, सम्यक ज्ञान संवारो। सम्यक चारित की महिमा से आठों धर्म निवारों चलो रे ।।१।। अगर बीच में अटके तो सर्वार्थसिद्धि जाओगे । तैतीस सागर एक कोटि पूरव वियोग पाओगे ॥चलो रे ।।२।। फिर नर भव से ही यह गाडी तुपको ले जाएगी । मुक्ति वधू से मिलन तुम्हारा निश्चित करवाएगी ।।चलो रे ।।३।। भव सागर का सेतु लापकर यह गाडी जाती है। जिसने अपना ध्यान लगाया उसको पहुचाती है चलो रे ।।४।। यदि चूके तो फिर अनत भव धर-धर पछताओगे । मोक्षपुरी के दर्शन से तुम वचित रह जाओगे ॥चलो रे ।।५।। चलो रे भाई सिद्धपुरी देखो खडा है विमान महान, चलो रे भाई सिद्धपुरी । वायुयान आया है सीट सुरक्षित अभी करालो । सम्यक दर्शन ज्ञान चरित के तीनो पास मगालो ।।देखो।।१।। नरभव से ही यह विमान सीधा शिवपुर जाता है । जो चूका वह फिर अनन्त कालो तक पछताता है। देखो।।२।। रत्नत्रय की बर्थ सभालो शुद्धभाव में जीलो ।। निज स्वभाव का भोजन लेकर ज्ञानामृत जल पीलो देखो ।।३।। निज म्वरुप मे जागरुक जो उनको पहुचाएगा । सिद्ध शिला सिहासन तक जा तुमको बिठलाएगा देखो ।।४।। मुक्ति भवन मे मोक्ष वधू वरमाला पहनाएगी । मादि अनत समाधि मिलेगी जगती गुण गाएगी ।।देखो।।५।। करलो जिनवर का गुणगान करलो जिनवर का गुणगान, आई मगल घड़ी । आई मगल घडी, देखो मगल घडी ।।करलो ।।१।। वीतराग का दर्शन पूजन भव-भव को सुखकारी । जिन प्रतिमा की प्यारी छविलख मैं जाऊ बलिहारी करलो ।।२।।
SR No.010738
Book TitleJain Punjanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajmal Pavaiya
PublisherRupchandra Sushilabai Digambar Jain Granthmala
Publication Year1992
Total Pages321
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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