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________________ ४८ ६०१ पाप व्यवहारना नियम वांच नहीं ६०२ धुत-रमण करुं नही. ६०३ रा क्षौर-कर्म करावु नही. ६०४ ठासोठांस मोड ताणु नही. ६०५ अयोग्य जागृति भोग नहीं ६०६ रसस्वादे तनधर्म मिथ्या करु नही. ६०७ एकात गारीरिक धर्म आरावू नही ६०८ अनेक देव पूजें नही ६०९ गुणस्तवन सर्वोत्तम गणु. ६१० सद्गुणतु अनुकरण करु. ६११ शृगारी जाता प्रभु मानुं नही. ६१२ सागर प्रवास करु नही ६१३ आश्रम नियम्गेने जाणु. ६१४ क्षौर-कर्म नियमित राखवु ६१५ ज्वरादिकमां स्नान करवु नही ६१६ जळमा डूबकी मारवी नही ६१७ कृष्णादि पाप लेश्यानो त्याग करुं छु ६१८ सम्यक समयमा अपध्याननो त्याग करु छ ६१९ नाम भक्ति सेवीश नही.
SR No.010737
Book TitleTattvagyan Mathi
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
Author
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1986
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size3 MB
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