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________________ ३४ आजे गई बारमनी माग्म सन्या धानी हो तो विवेकची ममय, गनिने परिणामने विचार जना दिवनमा प्रवेगार ३५ पग मृफना पाप है, जोता जर है, अने माथे मरण रह्यं छे, ए विचान चालना दिवसमा प्रवेश पर ३६ अघोर कर्म करवामा शाजे तारे पाच होय तो राज पुत्र हो तो पण निशाचरी मार करी अजना दिवममा प्रवेश करने. ३७ भाग्यशाली हो तो नेना आनदमा वीजाने भाग्यगारी करजे, परंतु दुर्भाग्यगाली हो तो अन्यनुं वन करता रोकाई आजना दिवममा प्रवेश करजे ३८ धर्माचार्य हो तो तारा अनानार भणी फटाक्षदृष्टि करी आजना दिवसमा प्रवेश करजे ३९ अनुचर हो तो प्रियमा प्रिय एवा शरीरना निभाव नार तारा अधिराजनी निमकहलाली इच्छो आजना दिवममा प्रवेश करजे ४० दुराचारी हो तो तारी आरोग्यता, भय, परतत्रता, स्थिति अने सुस एने विचारी माजना दिवसमा प्रवेग करजे.
SR No.010737
Book TitleTattvagyan Mathi
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
Author
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1986
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size3 MB
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