SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५३) जयानद सूरीश्वरजी महाराजका बनाया हुआ "चिकागो प्रश्नोत्तर" तथा मेरी वनाई हुइ " दयानद कुतर्फ तिमिरतरणि "नामा कितार जिस्को कि लाला नथुराम जैनी मुजीरा जिला फिरोजपुरने उ में लिखी और लाला बिहारीलाल एल एल पी पाउने बडी प्रीतिके सोब लाहोरमें छपवाइ है। पता• उपर लिखा हुआही समझें । प्रिय सज्जनो ! देखिये, इनके लिये श्रीमद् हेमचद्रचार्यजी महाराज स्याद्वादमनरीके दशम श्लोकमें क्या लिखते है:स्वयं विवाद अहिले वितण्डा, पाण्डित्य कण्डूल मुखेजनेऽस्मिन् ॥ मोयोपदेशात् परमर्मभिन्द, नहो विरक्तो मुनिरन्यदीय ॥१०॥ मतलव-इस दुनियाके लोगमे स्वाभाविकही यह मत्ति पाई जाती है कि अपने मतको सिद्ध करने के लिये झूठे इतराज देकर दूसरेके पक्षको गिराना चाहते है, और अपने झूठे मन्तव्यकी सिद्धि के लिये विस्तृत वक्तृत्व कला विना गुरुके खुद बखुदही सीख रखी है। ऐसे लोगांको मायोपदेश देनेवाले गौतमकी विरक्तताको शागास है। विरक्तता हो तो ऐसी हो! इस श्लोकके चतुर्थ पादमे हेमचद्राचार्यजी महाराजने अहो ये पद
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy