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________________ (१६६) मृत्युके पश्चात रोना पीटना। हानिकारक रिवाज का निषेध प्रियपाठको ! अपनी जैन कौम जो कि एक समय आचार और विचार दोनोंमें उन्नतिके उच्च शिखर पर चढ़ी हुईथी, वही जैन कौम अभी बहुत कुचाल, कुसंप, अज्ञान वगैरः राक्षसी शक्तियोंके नीचे दवाकर चिगदागई है। जिस जैन कौममें संस्कार शुद्ध व्योहार नीति वगैरः में एक समय शांति रखतेथे उस कौममें हाल हानिकारक आचरण दाखिल हुए हैं और बहुत गहरी जड जमाकर बैठे हैं। जिससे अपनी सामाजिक स्थिति विगडी हुई है, वैसाही व्योहारिक दृष्टिमें लोग अपनी निन्दा करते हैं. अपनी जैन कोममें फिलहाल जो हानिकारक रिवाज प्रचलित हैं उनमें से नीचेके मुख्य हैं१ कन्याविक्रय. २ वाललग्न. ३ वृद्धविवाह. ४ एक स्त्रीकी हयातीमें दसरी स्त्रीसे व्याह करनेका रिवाज. ५ लग्नादि प्रसंगमें वैश्याका नाच आतसवाजी छोडना और गालीगाना६ मृत्युके वाद जीमनवार ( नुकता) ७ मृत्युके वक्त रोना पीटना.
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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