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________________ (१५७ ) यह कार्य करनेकी आवश्यकता बतलाते ह इससे जब वह साधनहीन पैसा मिलानेको हरएक तरहसे निष्फल होता है तब उसे याचकपना करनेका मौका आता है और वाहिरगाम जा. फर लोगोंके सामने अपना दुख रोकें महान परिश्रमसे धर्मादा तरीके पैसे निकलवाता है, इस मुजर पैसे लाकर यह नुकता करता है, और उसको खानेवाले अपन होते है यह मकार अपन को फितना शर्माने लायक है ? धर्मादा खानेको जाना इससे और क्या ज्यादा हलका है। श्रेष्ठ ज्ञाती जैन कोमके वीरपुत्रो। आपफी विवेक बुद्धि कहां गई ? उसका योडा बहुत सद्उपयोग करो और ऐसे हानिकारक रिवाजोंको जडमूलसे नाश करनेको अपने पवित्र सनातन धर्मको मान देते सीखो। इसीसे आपका श्रेय होगा और जैन कोमका श्रेय करनेको सावनभूत हो सकोगे। ___अब एक सामान्य स्थितिका मनुष्य कि जिसपर उसके सारे कुटुम्पका आधार होता है, जब वह मृत्यु पाता है तब उ. सकी विधवा अथवा छोकरोंको उसका नुकता करनेमें वैसा दुख उठाना पडता होगा उसका ख्याल नीचेकी हकीकतसें ज्ञात होगा? जव कुटुम्बमें इस प्रकारसे वेढव बात हो गई हो तो पांच सात दिन बाद मृत्युवालेके सगेसम्बन्धी उसका नुकता करने को पात चलाते हैं और घरमें उसकी विधवा खी तो उसका
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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