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________________ पञ्च ते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं कुर्वन्तु नो मंगलम् नमस्कार-मन्त्र प्रथम प्रकाश मन्त्र क्या है ? "जप मानसे' इस धातु से जप शब्द बना है । जब 'भो किसी मन्त्र का मन से पुन:-पुन: स्मरण किया जाता है तब उस प्रकिया को जप कहा जाता है । जप साधक वर्ग ही करता है, सिद्ध वर्ग नहीं। वीतराग प्रभु की आज्ञानुसार साधना करने वाले को ही साधक कहा जाता है । साधनाशील व्यक्ति साधक तभी तक कहलाता है जब तक कि वह लक्ष्यबिन्दु को प्राप्त करके कृतकृत्य नही हो जाता, और तभी वह साधना-पथ पर अविराम गति से चलता रहता है । दृढ़ साधक के समक्ष कोई भी विघ्नबाधा चिरकाल तक टिक नही सकती और न उसे किसी तरह
SR No.010732
Book TitleNamaskar Mantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Shraman
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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