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________________ प्रस्तुत ग्रन्थ जैनधर्म-दिवाकर पजाब-प्रवर्तक श्रमण-श्रेष्ठ श्री फूलचन्द्र जी महाराज की तपस्विनी लेखिनी ने इस ग्रन्थ मे नवकार मन्त्र के प्रत्येक पद की जो विस्तृत व्याख्या की है उससे नवकार मन्त्र के स्वरूप का साक्षात्कार अनायास ही हो जाता है.। जहा उनकी वैदुष्य-मण्डित लेखनी द्वारा अरिहन्तो एव सिद्धो के अलौकिक स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है, वहा प्राचार्य, उपाध्याय और साधु के स्वरूप के साथसाथ उनके उन कर्तव्यो की भी विशद व्याख्या की गई है, जिनके उदात्त प्रयोग के बल पर वे नमस्करणीय और जपनीय हो जाते है। आगमो मे पच. पदो की विस्तृत व्याख्याए ढ ढकर उनका स्वाध्याय करते हुए नवकार मन्त्र की महत्ता को जानना अत्यन्त श्रम-साध्य कार्य था। श्री श्रमण जी महाराज के तप शील महान् स्वाध्याय ने उस समस्त महत्ता को एक ही स्थान पर संकलित करके जैन जगत पर ही नहीं, प्रत्येक साधक पर महान् उपकार किया है। मै समस्त जैन जगत की ओर से इस ग्रन्थ का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए श्री श्रमण जी महाराज के गहन अध्ययन के चरणो मे शत-शत वन्दन करते। हू। तिलकधारशास्त्री
SR No.010732
Book TitleNamaskar Mantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Shraman
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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