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________________ २२६ १२२ ३३३ 6 १६६ ० ० ४८३ ." वसुनन्दि-श्रावकाचार जे केइ वि उवएसा जेणज्ज मझ दव्व १४६ जे तसकाया जीवा जे पुण कुभोयभूमीग जे गुण सम्माइट्ठी ३४६ जे पुव्वसम ट्ठिा जे मज्ज-मसदोमा जो अवलेहइ णिच्च जो पम्मद समभाव जो पुण जहण्णपत्तम्मि जो पुण जिणिदभवण जो मज्झिमम्मि पनम्मि जोव्वणगएण मनो २७७ ३४७ १८३ ठिदियरणगुणपउत्तो १०४ जह पूण केण वि दीसइ जइ मे होहिहि मरण जइ वा पुवम्मि भवे जय जीव णद वड्ढाजलधाराणिक्वेवेण जल्लोसहि-सव्वोसहि जस्स ण हु आउमरिसाजह उक्कस्स तह मज्झिम जह उत्तमम्मि खित्ते जह ऊसरम्मि खिते जह मज्ज तह य महू जह मज्झिमम्मि खिते जह रुद्धम्मि पवेमे ज किं चि गिहारभ ज कि चि तस्म दव ज कि पि एत्थ भणिय ज कि पि देवलोए ज कि पि पडियभिक्ख ज कि पि सोक्खसार ज कीरइ परिरक्खा ज कुणइ गुरुसयासम्मि ज झाइज्जइ उच्चारिऊण ज दुप्परिणामाओ ज परिमाणं कीरइ ज परिमाणं कीरइ जंबीर-मोच-दाडिमजं वज्जिज्जइ हरियं जायइ अक्खयणिहि-रयणजायइ कुपत्तदाणेण जायइ णिविज्जदाणेण जायंति जुयल-जुयला जिणजम्मण-णिक्खमणे जिणवयण-धम्म-चेइयजिण-सिद्ध-सूरि-पाठयजिब्भाछेयण-णयणाण जीवस्सुवयारकरा जीवाजीवासवबधजीवो हु जीवदव्वं जूयं खेलंतस्स हु जयं मज्ज मंसं ११५ ३७५ ३०८ ५३८ २३८ २७२ ४६४ ३२६ २१३ २१७ ४४० २६५ ४८४ २४८ ८८६ ४५५ ३७४ ५२५. ૩૨૨ ण गणेइ इट्ठमित्त ण गणेइ माय-बाप ण मुयति तह वि पापा ण य कत्थ वि कुणइ रह ण य भुजड आहार णवमामाउगि सेगे णदीसरदिवसे णदीमरम्मि दीवे णाणतरायदमय णाणे णाण वयरणे णामट्टवणादवे णामावहारदोमेण णिच्च पलायमाणो णिठर-कक्कसवयणादणिद्दा तहा विमाओ गिद्देस मामिनं णियय पि सुयं बहिणि णिव्विदिगिन्छो गओ णिसिऊण णमो अरहणिस्समइ रुयइ गायब णिस्सका णिक्कग्वा णिस्संकिय-संवेगाणिसंकिय-संवेगा २६२ ४५२ २७५ ३८० १६८ ३४ ११३ ३४१
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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