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________________ २१३ २२६ विमग्गित्ता विमाणपती विमुक्क ३७७ विवज्जिय विवरीय विविह G २५७ विमार्गयित्वा विमानपंक्ति विमुक्त विस्मय विवजित विपरीत विविध विचक्षण विदग्ध विकल्प विकल्प्य विकलेन्द्रिय विकार वियोग विलित विलोकन विल्व १३१ ५४७ प्राकृत-शब्द-संग्रह अन्वेषण करके विमानोंकी श्रेणी छूटा हुआ आश्चर्य रहित उलटा नाना प्रकार बुद्धिमान् चतुर, निपुण भेद विकल्प करके द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीव विकृत भाव विछोह अत्यन्त लिप्त देखना वेलफल हलाहल, जहर बुरी आदत गोचर-योग्य ४०६ १७८ ४४१ विष ६५ १३२ व्यसन २६ वियक्खण वियड्ड वियष्पय वियप्पिऊण वियलिंदिय वियार वियोय विलित विलोयण विल्ल विस विसण विसय विसहर विसा विसुद्ध विसुद्धमाण (विसोहि । विसोही विस्सास विहव विहाण *विहरिऊण विहि वीचि वीणा वीभच्छ विषय विषधर सर्प २४३ रज, खेद ___ विषाद विशुद्ध विशुध्यमान अत्यन्त शुद्ध विशुद्ध होता हुआ विशुद्ध विशोधि ५२० ४२१ २३२ ५२८ विश्वास विभव विधान विहृत्य विधि बीचि वीणा वीभत्स द्वितीया वीरचर्या वीर्य विंशति विस्मृत ब्रुडन् प्रतीति समृद्धि निर्देश विहार करके रीति तरंग वाद्य-विशेष भयानक दोज, दूसरी तिथि सिह-वृत्तिसे गोचरी करना बल, पराक्रम बीस ४१३ ८५ वीया ३६८ वीरचरिया वीरिय वीस वीसरिय ३१२ ५२७ १७४ भूला हुआ . डूबना, डुबकी लगाना बूढ़ा बबूला २१० ५०१ ३२४ बुव्वुय बुद्बुद ३६६ २८
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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