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________________ १८६ वसुनन्दि-श्रावकाचार ३६२ ५०६ १०७ चक्रवर्तित्व चक्रधर चटापयित्वा चतुर्धा चर्म चामर चय २३० ४०० चक्कवट्टित्त चक्कहर *चडाविऊण *चदुधा चम्म चमर चय चरण चरित्त चरिम चरिया चलण चलपडिमा चवण चाउव्वण्ण चरण १५४ चारित्र ३२० ३०६ २१८ चर्या चरण चलप्रतिमा च्यवन चातुर्वण्र्य ४४३ १६५ चक्रवत्तिपना चक्री, चक्रका धारक चढाकर चार प्रकार चमड़ा चॅवर समूह, शरीर सयम, पाद बत, नियम अन्तिम आचरण, गमन, भोजनार्थ विहार पाद, पाव अस्थिर मूर्ति मरण, पतन चार वर्णवाला; मुनि, आयिका, श्रावक, श्राविका रूप चतुर्विध संघ खुशामद ठहरनेके लिए लॉछन, निशान चित्रगत मूत्ति चिरस्थायी दीर्घजीवी पुरातन चिन्तासे पीडित छोटा, चीन देश चीनका बना वस्त्र बारीक पिसा चून चूर्ण चूर्ण किया गया ४१५ चाडु चिट्ठ चिरह १८७ ४५२ ४३८ २६ चाटु स्थातु चिन्ह चित्रप्रतिमा चिरव्यवस्था चिरायुष्क चिरंतन चिंतातुर चीन चीनपट्ट चित्तपडिमा चिरविवत्था चिराउस चिरंतण चिंताउर चीण चीणपट्ट ३४५ ४४६ ११४ २५६ ४०५ १५२ चुण्णित्र चूर्णित च्युत पतित, गिरा हुआ २९, ३० चतुरशीति चूर्ण चैत्य चुय चुलसीइ चूरण चेय चेयगिह चेयणा चोदस चोइसी चोरिया चंडाल १७१ १६८ २६७ २७४ चैत्यगृह चेतना चौरासी चून प्रतिबिम्ब, स्मारक चैत्यालय चैतन्य ज्ञान चौदह चौदस तिथि चोरी डोम, हत्यारा, बधिक सुगन्धित वृक्ष विशेष अर्ध चन्द्रके समान आभावाला चन्द्रके समान चतुर्दश चतुर्दशी चोरिका चाण्डाल चन्दन चन्द्रा चन्द्राम ३७० ३७० ११० ८८ चंदण २६७ चंदक ३६६ चंदह
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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