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________________ प्राकृत-शब्द-संग्रह १८३ कुसुमदाम कुसुमाउह कुसेसय कुसुमदाम कुसुमायुध कुशेशय २६५ ४८५ ४८५ २१६ कूट कूट कूर १८६ र क्रूर केवल केवलणाण d १७० २३० केवल केवल ज्ञान . केस केश कोवीण कौपीन as wF9 Mmmm or १०. pr 0X9 ०. ० m disx9) 10 क्रोध कोह कोहंध । कंचण कंत कंतार कंद पुष्पमाला कामदेव कमल, पर्वतका मध्यभाग, नकली, माया, छल भात, ओदन निर्दय हिसक असहाय, अकेला क्षायिक ज्ञान बाल, क्लेश लंगोटी रोष क्रोधसे अन्धा सुवर्ण सुन्दर, अभिलषित . अरण्य, जगल जमीकन्द, मूल, जड़, स्कन्द कातिकेय चिल्लाता हुआ नीलकमल कामदेव, अनग गुफा, विवर कॉसा, कासेका पात्र झालर, वाद्य विशेष क्षुद्रघटिका कुछ, अल्प अशोकवृक्ष कुछ भी सिकोड़ना शस्त्र विशेष, भाला घणिया विनाश क्रोधान्ध कांचन कान्त कान्तार कन्द २६५ कंदंत क्रंदन्त (देशी) कन्दर्प १६४ ४३५ कंदुत्थ कंदप्प कंदर कंस कंसताल किकिणि किंचि किंकराय किंपि कुंचण ४१२ ३६६ कंदरा कांस्य कांस्यताल किकिणी किञ्चित् किंकरात किमपि कुञ्चन कुन्त १०४ ४३२ २३३ कुंत कुंथुभरि क्खय ४४५ कुस्तुम्भरी क्षय ७४ खन खचित ४२५ खाद्यमान १८२ १८० ४४० खग्ग खचिय +खज्जत (खजमाण खज्जूर खण खणखइमा खमरण खमा खमिऊण तलवार जटित खाया गया खाया जाता हुआ खजूर, सबसे छोटा काल क्षण-विनश्वर उपवास, श्रमण, साधु क्षान्ति, पृथ्वी क्षमा करके खजूर क्षण क्षणक्षय क्षमण क्षमा क्षन्वा, क्षान्त्वा २७६ ३५४ ५४८
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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