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________________ ४१३ १०५ ३३२ २५७ ४२६ ४१६ आणय प्राणा प्रादणास आदा आदिज्ज आभूसण आमलय आमोय आयरक्ख प्रायवत्त प्रायास आयंबिल प्रारक्खिय आरोवण आलोइऊण आवत्त श्रावस्सय प्रासय आसव प्रासा आसाढ आसामुह ३५१ १०६ प्राकृत-शब्द-संग्रह १७७ पानक वाद्यविशेष प्राज्ञा उपदेश, निर्देश ३४३ प्रात्मनाश अपना विनाश, आत्मघात ३१७ आत्मा जीव प्रादेय उपादेय, ग्रहण करने योग्य आभूषण आभरण, गहना, जेबर ५०२ श्रामलक ऑवला ४४१ श्रामोद हर्ष, सुगन्ध प्रात्मरक्ष अंग-रक्षक प्रातपत्र छत्र, आर्यावर्त अाकाश, श्रायास नभ, परिश्रम ४७२ श्राचाम्ल तप-विशेष अारक्षक कोटवाल अारोपण ऊपर चढाना १०६ अालोच्य आलोचना करके . चक्राकार भ्रमण, भंवर श्रावश्यक नित्य कर्तव्य श्राशय अभिप्राय, निकट, आश्रन, सहारा, आलंबन ५४३ श्रासव, प्रास्त्रव मद्य, कर्मों का आना अाशा उम्मेद, दिशा ४२७ श्राषाढ़ मास-विशेष अाशामुख दिशामुख २५७ आश्रित्य आश्रय पाकर अाश्विक अश्व-शिक्षक प्राशित खिलाया हुआ श्रासित बैठा हुआ आसज्य, सजकर ५४२ प्रासाद्य आश्रय पा करके श्राहार भोजन (साभरण भूषण श्रा+हरण चोरी करना बुलाना आभरण-गृह शृंगार-सदन आहार्य आहार ग्रहण कर १३६ श्रावर्त ३५३ आसिय आसज "आसिज्ज आहार M २ अाहरण ५०२ आहरणगिह आहरिऊण ४५४ इक्खु इञ्चाइ इत्यादि ५० इट्ठ इरिहह इत्थि इथिकहा इत्थिवेय २४४ ईख प्रभूति, वगैरह अभिलषित इस समय, अब नारी स्त्रियोंकी कथा स्त्रीलिंग इदानीम् स्त्री स्त्रीकथा स्त्रीवेद १६७ ३२१
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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