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________________ प्राकृत शब्द-संग्रह १७३ ५३४ अजोगकेवलि *अजंपणिज्ज *अज्ज अज्जिय अज्भयण अभावण अयोगकेवली अजपणीय अद्य । आर्य अर्जित अध्ययन अध्यापन ३१२ अट्ट श्रा अट्ट अट्ठ अष्ट mr mr अट्टमभत्त अट्ठमी अट्टि श्रणयार अरावरय अष्टमभक्त अष्टमी अस्थि अनगार अनवरत WM १५६ अराण अन्य १८२ योग-रहित केवली नही कहने योग्य आज, आर्य, वैश्य, स्वामी, ७४ उत्तम, श्रेष्ठ, साधु, पूज्य उपाजित, पैदा किया हुआ १६१ अध्ययन, अध्याय पढाना २३७ पीड़ित, ऋत, गत, प्राप्त, दुकान हाट, २२८ घरका ऊपरी भाग, आकाश अट्ट (दे०) कृश, महान्, निर्लज्ज, शुक, शब्द, सुख, असत्य आठ, वस्तु, विषय, वाच्य, तात्पर्य, प्रयोजन, फल, धन, इच्छा, लाभ ५६ तेला, तीन दिनका उपवास तिथि-विशेष हड्डी, अथिन्-अभिलापी, याचक ८६ गृह-रहित मुनि, भिक्षुक, आकार-रहित निरन्तर, सदा दूसरा ६० अन्य जगह २७४ मिथ्याज्ञान ५३६ अज्ञ, मिथ्याज्ञानी २३६ भविष्यकाल नही चाहते हुए अप्रीतिकर अत्यन्त छोटा बन जानेकी ऋद्धि ३४६ नवाँ गुणस्थान पवन युक्त, सहित परमाणु, पुद्गलका अविभागी अश दया करना, भक्ति करना गिनता हुआ ३३० कल्पातीत विमान अनुपालन कर ४६४ ज्ञान, बोध, कर्म-फलका भोग, निश्चय प्रभाव, माहात्म्य अनुभव किया हुआ, अनुभव कर ५३८ अनुसार २१६ अनुमति देना ४ अनुमोदन करना ३०० प्रशंसा करना अनुमति देना २४८ *अण्णत्थ अण्णाण अण्णाणी अगागद अिणिच्छमाण । अणि अणिमा अणियट्टिगुण अणिल अरिणय अणु अणुकंपा *अणुगणंत अणुहिस *अणुपालिऊण अणुभव अणुभाग अणुभूय अणुमग्ग अणुमण अणुमणण अणुमोय अणुमायण Mon अन्यत्र अज्ञान अज्ञानी अनागत अनिच्छमान अनिष्ट अणिमा अनिवृत्तिगुण अनिल अन्वित अणु अनुकम्पा अनुगणयन् अनुदिश अनुपाल्य अनुभव अनुभाग अनुभूत अनुमार्ग अनुमन अनुमनन अनुमोद अनुमोदन ४६ ४६१ ४१ ५१९ २३
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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