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________________ so प्राकृत साहित्य का इतिहास "ज्ञान " "ज्ञान का क्या फल होता है ?" "विज्ञान ।" "विज्ञान का क्या फल होता है ?" "प्रत्याख्यान।" "प्रत्याख्यान का क्या फल है ?" "संयम।" "संयम का क्या फल है ?" "आस्रवरहित होना।" "आस्रवरहित होने का क्या फल है ?" "तप" "तप का क्या फल है ?" "कर्मरूप मल का साफ करना।" "कर्मरूप मल को साफ करने का क्या कल है ?" "निष्क्रियत्व ।" "निष्क्रियत्व का क्या फल है ?" "सिद्धि।" इसी उद्देशक (२.५) में राजगृह में वैभारपर्वत के महातपोपतीरप्रभ नामक उष्ण जल के एक विशाल कुएड का . उल्लेख है।' तीसरे शतक में दस उद्देशक हैं । यहाँ ताम्रलिप्ति (तामलुक) के निवासी मोरियपुत्र तामली का उल्लेख है। उसने मुंडित होकर प्राणामा प्रव्रज्या स्वीकार की। अन्त में पादोपगमन अनशन द्वारा देह का त्याग किया। सबर, बब्बर, टंकण आदि १. बौद्ध साहित्य में इसे तपोदा कहा गया है (विनयपिटक ३, पृष्ठ १०८ दीघनिकाय अट्ठकथा १, पृष्ठ ३५)। आजकल यह तपोवन के नाम से प्रसिद्ध है। २. टंकण म्लेच्छ उत्तरापथ के रहने वाले थे। ये बड़े दुर्जय थे और जब आयुध आदि से युद्ध नहीं कर पाते थे तो भागकर पर्वत की शरण
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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