SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 856
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका योगराज ४९१ रतिकलि ४६७ योगसार ३२४ रतिवाक्य १७९ योगविंशिका ३३८ रन (चौदह) ६२, १११ योगशास्त्र ३७०, ४५० रत्नों की उत्पत्ति ५०४ योगशुद्धि ३३४ रखकरण्डश्रावकाचार २७३ योगसंग्रह (बत्तीस)६४ रत्नकीर्ति देव ३१७ योगसिद्धि (मठ)५१६ रत्नचन्द्र ६५३ योगानुयोग १३ रत्ननिकोटि ४४७ योगी (कनटोपधारी)५६० रत्नद्वीप ८२,३८८, ४२१ योगीन्द्र ४७४ रत्नपरीक्षा ३७०, ४१८, ६७८ योगीन्द्रदेव ३२४ रत्नपुर ३६५, ४८३ योनिस्तवप्रकरण ३४९ रत्नप्रभ ५२६ योनिग्राभृत (जोणिपाहुड)३३ (नोट), रत्नप्रभसूरि ४९१ १२९, २४६, ४३०, ४३८, ६७३, रवमय स्तूप २१९ ६७४, ६८० रत्नवती ३६६ योनिपोषण (वेश्यावृत्ति) ५११ रत्नशिख ५०० योषित् १२६ रत्नशेखर (राजा)३६५ रत्नशेखरसूरि (छंदाकोश के कर्ता) रंगायणमल्ल ४३१ ६५३ रंगोलियां ५०७ रत्नशेखरसूरि (दिनसुद्धि के कर्ता) रंभामंजरी ३३३ ६४ ६७६ रइराम ५७३ (नोट) रत्नशेखरसूरि (सिरिवालकहा के रक्तपट (बौद्ध भिक्षु) ४९४ कर्ता) ३४२, ४७९ रक्तसुभद्रा ९३ रत्नशेखरसूरि (गुणस्थानक्रमारोहण रचापोटली ३६९ के कर्ता)३४९ रविका ८१ रत्नशेखरसूरि (व्यवहारशुद्धिप्रकाश रघुकार ५९२ के कर्ता) ३४४ रघृदय ६०५ रत्नशेखरसूरि (लघुक्षेत्रसमास के रजक २१९ कर्ता)३४७ रजस्वाण १८५ रत्नशेखरसूरि (वंदित्तुसुत्त के टीकारजोहरण ४८, ५९, ६८, १३७, १३९, कार) १८७ १५९, १८५, २२६ रत्नश्रवा ५२९ रज्जु १३६ रत्नसागर १५५ रज्जू (राजू)२८५ रत्नसिंह ६६० (नोट) रहकूड (राठौड़)९५ रत्नाकरसूरि ३४५ रड्दा ४७१ रस्नावलि (तप)५१२
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy