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________________ अनुक्रमणिका ८१५ ३२५ કર૮ जयपाहुइ निमित्तशास्त्र ६७० जालंधरी (मुद्रा) ६७९ जयसिंहसूरि (धर्मोपदेशमाला के जालग (सीधे की विधि) १३७ कर्ता)३६२, ४९०, ४९१, ५००, जितशत्रु २४०, २६२ ५०१,५०५ जिनकल्पी १८४ २२१, २२७, ३३० जयसिंह ( काश्मीर का राजा) ६६१ जिनकीर्तिसूरि (परमेष्ठिनमस्कारजर्यासहदेव ६५२ ___ स्तव के कर्ता)५७१ जयसुंदरीकथा ४८९ जिनकीर्तिसूरि (परमेष्टिनमस्कारस्त. जयसोमगणि ३४३ व के कर्ता ५७१ जयरथ ६६१ जिनचन्द्र (आचार्य)५२६ 'जल तल ले' (कोशल का प्रयोग) जिनचन्द्र (सिद्धांतसार के कर्ता) जिनचन्द्र (शिथिलाचारी शिष्य) जलयानों के प्रकार ४८१ ३२० जल्लोपधिप्राप्त २८६ जिनचन्द्र (देवगुप्तसूरि )३४८ जसहरचरिउ ४०३ (नोट) जिनचन्द्रसूरि (संवेगरंगसाला के जराकुमार ८९,२४० कर्ता १३२, ५१८ जरासंध ५६७ जिनचन्द्रसूरि (नमुकारफलपगरण जलक्रीडा ५०९ के कर्ता) ५७१ जलगता २७२ जिनदत्त (व्यापारी) ५२४ जलचर का मांस ११५ जिनदत्त (गणधरमार्धशतक केजवणी ( यवनानी) ६२ कर्ता)५२६ जवनिकांतर ६३२ जिनदत्तसूरि ३३३ जांगमिक (वन) २२६ जिनदत्ताख्यान ४७६ जांगल ११३ (नोट) जिनदासगणिमहत्तर ४५, १३५, जागरण ३०८ १३५ (नोट), १४७, १६४, १७२, जातक २३८,२६८ १७४, १८८, १९०, १९७, २३४, जातककथा ३५६ २३९, २४७, २४९, २५५, २५६, जाति (स्थविर) १५३ ३५९, ३८१ जातिवाद का खंडन ५१७ जिनदास ४३१ जातिजंगित २१९ जिनदेव ४३१ जाति आर्य ११३ जिनपम ५७० जॉन हर्टल ३७६ जिनप्रभसूरि (वड्ढमाण विजाकप्प जानती २२१ के कर्ता) ६७५ जाबालिपुर ३७३, ४१६ जिनप्रभ (विविधतीर्थकल्प के कर्ता) जार्ज ग्रियर्सन २७ ३५१, ३५३, ५४८ (नोट) जार्ल शार्पण्टियर १६४, १६७ (नोट) जिनप्रभ ( कल्पसूत्र के टीकाकार) जालंधर ५५१, ५५५, ५५६, ५६५ १५५
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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