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________________ ७६२ प्राकृत साहित्य का इतिहास __हे धार्मिक ! गोदावरी नदी के किनारे निकुंज में रहने वाले विकराल सिंह ने * उस कुत्ते को मार डाला है, इसलिये अब तू निश्चिन्त होकर भ्रमण कर ! (व्यंजना का उदाहरण) भरिमो स सअणपरम्मुहीअ विअलन्तमाणपसराए। कैअवसुत्तुन्वत्तणथणहरपेल्लणसुहेल्लिम् ॥ (स० के०५, २३८ गा० स०४.६८) (मान के कारण ) वह विस्तर पर मुँह फिरा कर लेट गई (तत्पश्चात् अनुराग की उत्कंठा से ) उसका मन शान्त होने लगा। ऐसे समय वहाना बना कर सोये हुए मुझे उसने एकाएक करवट लेकर अपने स्तनकलश के मर्दन से जो सुख दिया वह आज तक स्मरण है। (विचित्र क्षेपक अलङ्कार का उदाहरण) भिउडीअ पुलोइस्सं णिब्भच्छिस्सं परम्मुही होस्सम् । जं भणह तं करिस्सं सहिओ जइ तं ण पेच्छिस्सम् ॥ (स०के०५,२३९) मैं भौं चढ़ा कर देखूगी, उसकी भर्त्सना करूंगी, उससे मुँह फिरा लूंगी, हे सखियो ! जो कहोगी वह करूँगी बशर्ते कि उसे न देखू । भिसणीअलसअणीए निहि सव्वं सुणिञ्चलं अंगं। दीहो णीसासहरो एसो साहेइ जोअइत्ति परं ॥ - (साहित्य०, पृ० १९०) कमल दल की शय्या पर उस विरहिणी का निश्चल अङ्ग रख दिया गया है, उसका दीर्घ निश्वास बता रहा है कि वह अभी जीवित है। मअवहणिमित्तणिग्गअमइंदसुण्णं गुहं णिएऊग । लद्धावसरो गहिऊण मोत्तिआई गओ वाहो ॥ (स० के० २, ३८९) मृग को मारने के लिये गये हुए. मृगेन्द्र से शून्य गुफा को देख, अवसर पाकर मोतियों को लेता हुआ शिकारी वहाँ से चला गया। मग्गिअलद्धम्मि बलामोडिअचंविए अप्पणा अ उवणमिए । एकम्मि पिआहरए अपणोण्णा होन्ति रसभेआ॥ (अलङ्कार०६७) इच्छा करने से प्राप्त, बलपूर्वक चुम्बित तथा स्वयं झुके हुए ऐसे प्रिया के एक ही अधरोष्ठ में अनेक रसभेद होते हैं। मज्झटिअधरणिहरं झिजइ अ समुहमण्डलं उज्वेलं। रइरहवेअविअलिअंपडिअंविअ उक्खडक्खकोडि चकं ॥ (स० के०४, १७५) मध्य में मन्दर पर्वत होने के कारण जिसका जल बाहर निकलने लगा है तथा सूर्य के वेग से उद्भट अक्षकोटि वाला चक्र मानों गिर पड़ा है, ऐसा समुद्रमंडल क्षय को प्राप्त होता है। (परिकर अलङ्कार का उदाहरण) मज्झण्णपस्थिअस्स वि गिम्हे पहिअस्स हरइ सन्तावम् । हिअभट्ठिअजाआमुहमिअंकजोण्हाजलप्पवहो ॥ (स० के०५, २०५; गा० स०४, ९९)
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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