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________________ प्राकृत साहित्य का इतिहास वहाँ से चला आया। वह जालंधर गया और वहाँ सिद्धपुरुष को देख आश्चर्यचकित हो गया। तत्पश्चात् गोभद्र अपने घर वापिस लौटा। लेकिन इस समय उसकी पत्नी मर चुकी थी। उसने धर्मघोष मुनि के पास दीक्षा ग्रहण कर ली। आगे चलकर गोभद्र ने चण्डकौशिक सर्प का जन्म धारण किया । ___ महावीर घूमते-घामते सेयविया पहुँचे। वहाँ राजा प्रदेशी ने उनका सत्कार किया। यहाँ कंबल-शंबल नाम के नागकुमारों के पूर्वभव की कथा का वर्णन है। मथुरा में भंडीर यक्ष की यात्रा का उल्लेख है। छठे प्रस्ताव में गोशाल की दुर्विनीतता का वृत्तांत है। राजगृह के समीप नालंदा नामक संनिवेश में महावीर और गोशाल का मिलाप हुआ था | उत्तरापथ में सिलिन्ध्र नामक संनिवेश में केशव नाम का एक ग्रामरक्षक रहता था। उसकी भार्या से मंख का जन्म हुआ। वह चित्रपट लेकर गाँव-गाँव में घूमा करता था। एक बार वह घूमता हुआ चंपा नगरी में पहुँचा। वहाँ मंखली नाम का एक गृहपति रहता था। उसकी स्त्री का नाम सुभद्रा था । मंखली मंख के पास रहकर उसकी सेवा करने लगा और गायन आदि विद्याओं में वह पारंगत हो गया । तत्पश्चात् वह चित्रपट लेकर अपनी पत्नी के साथ वहाँ से चला गया। सरवण संनिवेश में पहुँच कर किसी गोशाला में सुभद्रा ने गोशाल को जन्म दिया। गोशाल बड़ा होकर अपने मातापिता से लड़कर अलग रहने लगा । यही मंखलिपुत्र गोशाल नाम से प्रसिद्ध हुआ | कालांतर में उसने महावीर से दीक्षा ग्रहण की और गुरु-शिष्य दोनों साथ-साथ रहने लगे। ___ महावीर की चर्या के प्रसंग में विभेलक नामक यक्ष के पूर्वभवों के वृत्तान्त का कथन है। इस प्रसंग में शूरसेन और रत्नावली के विवाह का विस्तृत वर्णन है। मद्य, मांस और रात्रिभोजन के निषेध का वर्णन है। कटपूतना के उपसर्ग का कथन है। लादेश के अन्तर्गत वनभूमि नामक अनार्य देशों में महावीर ने
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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