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________________ आवश्यकनियुक्ति २०५ आवश्यक आदि दस नियुक्तियाँ रचे जाने का उल्लेख है ।' अनेक सूक्तियाँ कही गई हैं :जहा खरो चंदणभारवाही, भारस्स भागी न हु चंदणस्स | एवं खु नाणी चरणेण हीणो, नाणस्स भागी नहु सोग्गईए॥ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणओ किया। पासंतो पंगुलो दड्ढो, धावमाणो अ अंधओ। संजोगसिद्धीइ फलं वयंति, न हु एगचक्केण रहो पयाइ । अंधो य पंगू प वणे समिच्चा, ते संपत्ता नगरं पविट्ठा ॥ -जैसे चंदन का भारढोनेवाला गधा भार का ही भागी होता है, चन्दन का नहीं, उसी प्रकार चारित्र से विहीन ज्ञानी केवल ज्ञान का ही भागी होता है, सद्गति का नहीं। क्रियारहित ज्ञान और अज्ञानी की क्रिया नष्ट हुई समझनी चाहिये । (जंगल में आग लग जाने पर) चुपचाप खड़ा देखता हुआ पंगु और भागता हुआ अंधा दोनों ही आग में जल मरते हैं । दोनों के संयोग से सिद्धि होती है। एक पहिये से रथ नहीं चल सकता। अंधा और लंगड़ा दोनों एकत्रित होकर नगर में प्रविष्ट हुए। निम्नलिखित गाथा में सामायिक-लाभ के दृष्टांत उपस्थित करते हुए दृष्टान्तों के केवल नाममात्र गिनाये हैं पल्लयगिरिसरिउवला पिवीलिया पुरिसपहजरग्गहिया । । कुद्दवजलवत्थाणि य सामाइयलाभदिटुंता॥ -पल्य, पहाड़ी नदी के पत्थर, पिपीलिका, पुरुष, पथ, ज्वरगृहीत, कोद्रव, जल और वस्त्र ये सामयिक-लाभ के दृष्टांत समझने चाहिये (टीकाकार ने इन दृष्टांतों का विस्तार से प्रतिपादन किया है)। १. भावस्सगस्स दसकालिअस्स तह उत्तरज्झमायारे । सूअगडे निज्जुत्तिं वोच्छामि तहा दसाणं च । कप्पस्स य निज्जुत्ति ववहारस्सेव परमनिउणस्स ॥ सूरिअपन्नत्तीए वुच्छं इसीभासिआणं च ॥
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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