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________________ शुद्धिपत्र १०६. १११ १३५ १६४ १८९ १९५ २०५ २२३ २२९ ४१. अट्ठाइस अट्ठारस सामयिक सामायिक २१ विभुक्ति विमुक्ति महासमुछो महासमुद्दो स्कंध स्कंद अगुत्तरो० अणुत्तरो० मुंसुदि मुसुंढि एक-एक एक १३. जिनदासमणि । जिनदासगणि १२ हर्षकूल हरेकुल २ कप्पसि कप्पासिआ और शौर और पंगूप. पंगू मैं नेह करता हूँ तू नेह करती है पारांतिक पारांचिक गिरिगिट गिरगिट शल्प शिल्प वेयश्या वेश्यया जातककथा, सरित्सागर जातक, कथासरित्सागर व्यंजन . व्यजन वि० सं० १३२६ % ईसवी वि० सं० १३२७ - ईसवी सन् १२६९ सन् १२७० तरंगलीला तरंगलोला तरंगलीला तरंगलोला आद्रककुमार आर्द्रककुमार सुरत सम्प्राति सम्प्रति २७ (नोट) सिंगोली सिंगोली की पहचान उडियान के संभलपुर से की जा सकती है २४२ २४६ २५७ २६८ २९५ ३४२ 9 १७० mm: २० ४८२
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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