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________________ निसीह के निवास के संबंध में विधि-निषेध का कथन है । अन्त में विविध प्रकार के मरण गिनाये गये हैं। बारहवें उद्देशक में ४२ सूत्र हैं जिन पर ३६७६-४२५५ गाथाओं का भाष्य है। पहले सूत्र में करुणा से प्रेरित होकर त्रस जीवों को रस्सी आदि से बाँधने अथवा बंधनमुक्त करने का निषेध है। बार-बार प्रत्याख्यान भंग करने का निषेध है। लोमवाला चर्म रखने का निषेध है। दूसरे के वस्त्र से आच्छादित तृणपीठक आदि पर बैठने का निषेध है। साध्वी की संघाटी अन्यतीर्थिक अथवा किसी गृहस्थ से सिलाने का निषेध है। पृथ्वीकाय आदि की विराधना का निषेध है। सचित्त वृक्ष पर चढ़ने का निषेध है। गृहस्थ के भाजन में भोजन करने का निषेध है। गृहस्थ के वस्त्र पहनने और उसकी शय्या पर सोने का निषेध है; उससे चिकित्सा कराने का निषेध है। वापी, सर, निर्भर, पुष्करिणी आदि का सौन्दर्यनिरीक्षण करने का निषेध है। सुंदर ग्राम, नगर, पट्टण आदि को देखने की अभिलाषा करने का निषेध है । अश्वयुद्ध, हस्तियुद्ध आदि में सम्मिलित होने का निषेध है | काष्ठकर्म, चित्रकर्म, लेपकर्म, दंतकर्म आदि देखने का निषेध है। विविध महोत्सवों में स्त्री-पुरुषों के गाते, नाचते और हँसते हुए देखने का निषेध है। दिन में गोबर इकठ्ठा कर रात्रि के समय उसे शरीर पर लेप करने का निषेध है। गंगा, यमुना, सरयू, ऐरावती और मही नाम की नदियों को महीने में दो अथवा तीन बार पार करने का निषेध है। तेरहवें उद्देशक में ७८ सूत्र हैं जिन पर ४२५६-४४७२ गाथाओं का भाष्य है। पहले सचित्त, सस्निग्ध, सरजस्क आदि पृथ्वी पर बैठने, सोने और स्वाध्याय करने आदि का निषेध किया गया है। देहली, स्नानपीठ, भित्ति, शिला, मंच आदि पर बैठने का निषेध है। अन्यतीर्थिक अथवा गृहस्थ आदि को शिल्प, श्लोक (वर्णना), अष्टापद् (द्यूत), कला
SR No.010730
Book TitlePrakrit Sahitya Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchandra Jain
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages864
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size45 MB
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